‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ को लेकर 14 मार्च को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में उच्च समिति ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को एक रिपोर्ट सौंपी है। इस समिति का गठन 2 सितंबर 2023 को किया गया था। इस गठन के बाद विशेषज्ञों ने 191 दिनों में ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ की रिपोर्ट तैयार की। यह रिपोर्ट 18,626 पृष्ठों की है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के साथ गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) के प्रमुख गुलाम नबी आजाद के साथ अन्य पार्टियों के नेता भी शामिल थे।
हाल ही में उच्च स्तरीय समिति ने भाजपा, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, सीपीआई, सीपीआई (एम), एआईएमआईएम, आरपीआई, अपना दल आदि सहित कई राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से मुलाकात कर उनसे बातचीत की थी।
इन दलों के प्रतिनिधियों ने भी अपने सुझाव इस रिपोर्ट में लिखित रूप में समिति को सौंपे हैं।
देश में एक साथ चुनाव कराने से संबंधित उच्च स्तरीय समिति ने भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक प्रक्रिया शुरू की गई थी।
उच्च स्तरीय समिति ने हाल ही में ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ मुद्दे पर जनता की राय भी मांगी थी। समिति द्वारा जारी किए गए नोटिस में कहा गया है कि देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए मौजूदा कानूनी प्रशासनिक ढांचे में उचित बदलाव करने के लिए आम जनता के सदस्यों से सुझाव मांगा गया है। केंद्र सरकार ने पिछले साल सितंबर में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के मुद्दे की जांच कराने और एक साथ चुनाव के लिए सिफारिशें करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था।
‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ के पीछे केंद्र सरकार का सुझाव है कि पूरे देश में सभी राज्यों में लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव को एक साथ कराया जाए। यह अवधारणा 1967 तक प्रचलित थी। लेकिन, दलबदल, बर्खास्तगी और सरकार के विघटन जैसे विभिन्न कारणों के कारण यह बाधित हो गई।