राहुल गांधी के मित्र और कांग्रेस के बड़े नेता सचिन पायलट ने अपनी ही कांग्रेस सरकार के खिलाफ अनशन करने की घोषणा कर दी है. सचिन पायलट ने भाजपा शासन में हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी ही सरकार के खिलाफ अनशन पर बैठने की घोषणा की है. हाल का समय कांग्रेस के लिए अच्छा नहीं चल रहा है, पहले कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी को सूरत कोर्ट से दो साल की सजा हुई फिर राहुल गांधी की संसद सदस्यता भी चली गई. इसके बाद किसी समय राहुल गांधी के खासमखास माने जाने वाले कांग्रेस के नेता सचिन पायलट के अपनी ही सरकार के खिलाफ बगावती तेवर दिखाना. कांग्रेस के लिए कुछ भी ठीक नहीं दिख रहा है और 2024 का लोकसभा का चुनाव के लिए भी अब ज्यादा समय भी नहीं बचा है, कांग्रेस में अगर ऐसे ही आपसी झगड़े नहीं रूकेंगे तो 2024 में भाजपा से कैसे लड़ पायेगी कांग्रेस. बताया जा रहा है कि सचिन पायलट 2018 के विधानसभा चुनावों के बाद से ही नाराज चल रहे थे. पायलट की अनशन की घोषणा से कांग्रेस में हलचल बहुत तेज हो गई है. कांग्रेस भी सचिन पायलचट के इस कदम से चौंक गई है और पूरी सख्ती दिखाने के मूड में है. कांग्रेस ने कहा है कि अपनी ही सरकार के विरोध में अनशन को सरकार विरोधी गतिविधियां मानी जायेंगी. राजस्थान में करीब 6 प्रतिशत गुर्जर आबादी है, जो कि कई जगह निर्णायक है. वहीं करीब 35 सीटों पर गुर्जर मतदाता निर्णायक संख्या में हैं. 200 सीटों वाली राजस्थान विधानसभा में 35 सीटें कम नहीं होती इसलिए कांग्रेस भी ये बात अच्छी तरह से जानती है इसीलिए कांग्रेस के राजस्थान के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा की ओर से दिए गए इस अनशन के संबंध में बयान में सॉफ्ट कार्नर दिखाई पड़ रहा है.
रंधावा ने कहा कि पार्टी सरकार के साथ कोई मुद्दा है तो इसे मीडिया में और जनता के बीच ले जाने से अच्छा है कि पार्टी के भीतर बात करे, मैं पांच महीने से पार्टी प्रभारी हूं लेकिन पायलट ने कभी इसकी चर्चा मुझसे नहीं की. रंधावा ने कहा कि पार्टी अभी भी पायलट से लगातार संपर्क में हैं, पायलट कांग्रेस पार्टी के निर्विवाद सदस्य है.
एक खबर ये भी है कि सचिन पायलट आप में जा सकते है और आप की तरफ से सीएम प्रोजेक्ट हो सकते है. वहीं आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल और बीजेपी के सांसद डॉ किरोड़ी लाल मीणा भी पायलट को अपनी पार्टी में आने का ऑफर दे चुके है. कांग्रेस के नेता सचिन पायलट ने राजस्थान की अशोक गहलोत के खिलाफ जो अनशन करने का ऐलान किया है इससे भाजपा और कांग्रेस दोनों को ही नुकसान हो सकता है जिससे किसी तीसरी पार्टी को फायदा होता दिख रहा है तो कहीं आप के तो होने नहीं जा रहे पायलट ? सचिन पायलट से पहले इनके पिता राजेश पायलट भी कांग्रेस से बगावत कर चुके हैं वो कई बार पार्टी में रहते हुए भी पार्टी को सार्वजनिक मंच से नसीहत देते और आईना दिखाते रहे थे. यहां तक की जब 2000 में जितेंद्र प्रसाद ने कांग्रेस अध्यक्ष पद पर सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा तो राजेश पायलट ने जितेंद्र प्रसाद का साथ दिया था. देखना होगा कि क्या सचिन पायलट कांग्रेस में रहकर ही कांग्रेस का विरोध करते रहेंगे या फिर उनका विरोध कांग्रेस से निकलने का एक बहाना भर है. सचिन, ज्योतिरादित्य सिंधिया और राहुल गांधी की तिकड़ी तो ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपाई होने से टूट गई थी लेकिन क्या अब सचिन पायलट और राहुल गांधी की जोड़ी भी टूटने के कगार पर है इसका जवाब आपको जल्द ही मिल जायेगा.