Story Of Prakash Agrawal: हर पिता का सपना होता है कि उसके कारोबार को उसका बेटा ऊंचाइयों की बुलंदियों पर ले जाए। देश-दुनिया में उसकी अलग पहचान बनाए, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे शख्स की कहानी बताएंगे, जिसने न सिर्फ अपने पिता के जमे हुए बिजनेस को छोड़ा बल्कि बहुत कम पैसों में अपना खुद का कारोबार खड़ा किया और आज उस कारोबार का सालाना टर्नओवर 650 करोड़ रुपये पहुंच गया है। इस शख्स का नाम प्रकाश अग्रवाल हैं, जो जेड ब्लैक अगरबत्ती बनाने वाली कंपनी मैसूर दीप परफ्यूमरी हाउस (MDPH) के फाउंडर हैं। वह आज अपने कारोबार से देश में खुशबू फैला रहे हैं।
नया कारोबार करना चाहते थे अग्रवाल
प्रकाश अग्रवाल तीन भाइयों में सबसे बड़े हैं। प्रकाश अग्रवाल कहते हैं कि इंदौर में उनकी एक पुश्तैनी किराना की दुकान थी। प्रकाश के पिता उस दुकान को चलाते थे। बड़ा बेटा होने के नाते प्रकाश से भी यह उम्मीद थी कि वह पिता जी की दुकान को विरासत में संभालेंगे, लेकिन प्रकाश को दुकान पर बैठना पसंद नहीं था। वह खुद अपना कोई कारोबार करना चाहते थे। ऐसा कारोबार जिसमें खुद का कोई प्रोडक्ट हो। हालांकि पैसे न होने के कारण इस बात की उन्हें चिंता रहती थी कि वह अपना प्रोडक्ट कैसे बनाएंगे।
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कई कारोबार में मिली असफलता
प्रकाश ने कम पैसे में कई कारोबारों को खोलने का प्रयास किया। प्रकाश ने शैंपू, नहाने का साबुन, कपड़े धाने का साबुन, हेयरऑइल आदि प्रोडक्टों का कारोबार करना चाहा, लेकिन उनका बिजनेस नहीं चल पाया। इस दौरान वह कपड़े की दुकान पर सेल्समैन का काम करते थे। बिजनेस में असफल होने और आर्थिक समस्याओं के कारण उनकी मां ने उनसे कहा कि वह बेंगलुरु जाएं और किसी बड़े ब्रांड की अगरबत्ती की एजेंसी लेकर उसे इंदौर में बेचें।
1992 में खोली कंपनी
साल 1992 में इंदौर के प्रकाश अग्रवाल ने जेड ब्लैक (Zed Black Agarbatti) के साथ अपने बिजनेस की शुरुआत की थी। इंदौर में अपने घर के गैरेज में उन्होंने मैसूर डीप फरफ्यूमरी हाउस की शुरूआत की थी। आज करीब 30 साल बाद हर कोई इस कंपनी के बारे में जानता है। उन्होंने ‘पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण’ के नाम से मार्केट में अपनी पहली अगरबत्ती लॉन्च की। यह अगरबत्ती लोगों को काफी पसंद आई। लोगों में उनकी अगरबत्ती की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए उन्होंने इसी कारोबार को आगे बढ़ने का फैसला किया।
2000 में ‘जेड ब्लैक’ दिया नाम
कंपनी की शुरूआत में अगरबत्ती पर वह बेंगलुरु का पता डलवाते थे। साल 2000 में उन्होंने ‘जेड ब्लैक’ नाम से अगरबत्ती की प्रीमियम रेंज लॉन्च की। इस पर उन्होंने बेंगलुरु का नहीं बल्कि इंदौर का पता छपवाया। यह अगरबत्ती मार्केट में आते ही छा गई। इस अगरबत्ती की सप्लाई के लिए देश के कई दूसरे हिस्से से प्रकाश अग्रवाल को फोन आने लगे।
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फैक्ट्री में लगी आग
दसअसल, 2003 में प्रकाश अग्रवाल की नई फैक्ट्री में आग लग गई थी। यह आग बेहद ही भीषण थी। आग लगने से फैक्ट्री में रखी सारी अगरबत्तियां जल गई। इस घटना ने प्रकाश को झकझोर रख दिया। इस घटना के बाद उन्होंने फिर से एक जगह किराए पर ली और नए सिरे से अपने बिजनेस की शुरुआत की।
‘प्रार्थना होगी स्वीकार’
जिस बिजनेस की शुरूआत में प्रकाश ने इतना संघर्ष किया, आज उस कंपनी से लगभग हर कोई परिचित है। भारतीय पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और अभिनेता ऋतिक रोशन जैसे स्टार जेड ब्लैक के ब्रांड एम्बेसडर रह चुके हैं। जेड ब्लैक अगरबत्ती के टीवी पर आने वाले विज्ञापन में इसकी टैग लाइन ‘प्रार्थना होगी स्वीकार’ काफी फेमस है। कंपनी रोजाना अगरबत्तियों के 15 लाख पैकेट बेचती है। वित्त वर्ष 2022-23 में कंपनी का सालाना टर्नओवर 650 करोड़ रुपये रहा है। आज कंपनी अगरबत्ती के अलावा धूपबत्ती, खाने वाला तेल, हैंड सैनिटाइजर, हैंड वॉश, पैकेज्ड चाय, प्राकृतिक हेयर कलर आदि चीजें भी बना रही है।
आज भारत भर में कंपनी के स्वामित्व वाले 36 डिपो हैं, जिनका मुख्यालय इंदौर में है। एमडीपीएच की आज देवास नाका, सांवेर रोड, रामपिपलिया, देवास और क्षिप्रा, इंदौर में पांच फैक्ट्रियां हैं. इसके अलावा 35 रीजनल सेल्स ऑफिस हैं। प्रकाश अग्रवाल की इस कंपनी में आज 4,000 से अधिक लोग काम करते हैं जिनमें 80 फीसद महिलाएं शामिल हैं।