SBI ने बुधवार को इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ा डाटा चुनाव आयोग को सौंप दिया है। सारा डाटा सौंपने के बाद SBI के मुख्य प्रबंध निदेशक दिनेश खारा ने बयान दिया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हमें निर्देश दिया था, हमने उन सभी निर्देशों का पालन किया। चुनावी बॉण्ड की खरीद की तारीख, खरीददारों के नाम और मूल्य का विवरण निर्वाचन आयोग को सौंप दिया है। इसमें चुनावी बॉण्ड भुनाने की तारीख, चंदा प्राप्त करने वाले राजनीतिक दलों के नाम की जानकारी भी निर्वाचन आयोग को सौंपी गई है। SBI ने अपने शपथ पत्र में कहा है कि हमने इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी को एक पेन ड्राइव और 2 PDF फाइल के जरिए चुनाव आयोग को सौंप दी है।
आपको बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने SBI को इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर जानकारी देने के लिए 30 जून तक का समय मांगा था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने SBI की इस मांग को खारिज कर दिया था। SBI को 12 मार्च तक पूरी जानकारी देने का आदेश दिया था।
बैंक ने आंकड़ों के जरिए बताया है कि पहली अप्रैल 2019 के बाद से 15 फरवरी 2024 तक कुल 22217 एलिक्टोरल बॉन्ड्स बिके थे। इनमें से 22030 निकाल लिए गए है। इनमें से 187 का भुगतान नहीं किया गया था गया। जिस इलेक्टोरल बॉन्ड का भुगतान किसी पार्टी को नही कराया गया है। उसकी रकम पीएम रिलीफ फंड में जमा कर दी गई है।
क्या होता है इलेक्टोरल बॉन्ड?
इलेक्टोरल बॉन्ड एक वित्तीय उपकरण होता है, जो किसी राजनीतिक पार्टी को आर्थिक समर्थन प्रदान करने के लिए प्रयुक्त होता है। यह एक प्रकार का उधार होता है जिसमें लोग अपने धन को एक पार्टी को लोन के रूप में प्रदान करते हैं और इसके बदले में वे निश्चित समयानुसार ब्याज और मूल राशि को वापस प्राप्त करते हैं। इससे पार्टी को वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता मिलती है, जिससे वह अपनी राजनीतिक गतिविधियों को चलाने में सक्षम होती है।