Lok Sabha Election 2024 Result: लोकसभा चुनाव 2024 के चुनावी नतीजे सामने आने के बाद सत्ता का पूरा खेल ही बदल गया। 4 जून को नतीजे सामने आने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने पार्टी नेता और कार्यकर्ताओं को संबोधित तो किया, लेकिन उनके चेहरे पर वो जोश और वो हाव भाव नहीं दिखे, जो 400 पार का नारा देते वक्त उनके चेहरे पर दिखते थे। हालांकि, मोदी कह रहे हैं कि सारे विपक्षी दल मिल कर भी उतनी सीटें नहीं ला पाए जितनी बीजेपी ने अकेले जीती हैं। फिर भी उनके अपने साथियों के चेहरे लटके हुए हैं।
आपने वो शेर तो ज़रूर सुना होगा हमें तो अपनों ने लूटा, गैरों में कहां दम था। ऐसे ही कुछ हालात इस वक्त प्रधानमंत्री मोदी के नज़र आ रहे हैं। 400 पार का नारा लेकर दक्षिण में भी विजय पताका फहराने की सोच रहे मोदी को अपने ही घर, अपने ही उत्तर भारत में बड़ा झटका लगा है। हालांकि, लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी एक बार फिर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। लेकिन अपने ही मैदान में एक बड़ा मोर्चा हार गई है। हिंदी पट्टी यानि उत्तर भारत के कम से कम 10 राज्यों को बीजेपी का गढ़ माना जाता था, लेकिन वहां भी पार्टी ने 55 सीटें गंवा दी हैं।
नतीजा ये हुआ कि पिछली दो बार से रिकॉर्ड जीत दर्ज करती आई बीजेपी इस बार अपने दम पर पूर्ण बहुमत भी हासिल नहीं कर पाई है। मंगलवार रात 10 बजे तक जो नतीजे सामने आए उनके मुताबिक बीजेपी को 240 सीटों पर जीत मिली है या फिर आगे चल रही है, जबकि 2019 में अकेले बीजेपी ने 303 और 2014 में 282 सीटें जीती थीं। ऐसा पहली बार हुआ है जब नरेंद्र मोदी अपनी पार्टी को बहुमत नहीं दिला पाए हैं। ये बात सोच सोच कर वो खुद भी हैरान हैं और अब कह रहे हैं कि नंबर गेम तो चलता रहता है।
प्रचंड जीत का दावा करने वाली बीजेपी नहीं कर पाई बहुमत साबित
नरेंद्र मोदी के अपने टॉप लीडर्स के चेहरे लटके हुए हैं। ऐसे में ये जानना ज़रूरी है कि आखिर क्या वजह है जो प्रचंड जीत का दावा करने वाली बीजेपी बहुमत तक साबित नहीं कर पाई। आइये इसके पीछे कुछ अहम फैक्टर्स पर नज़र डालते हैं।
1. देश को अगर 5 पॉलिटिकल जोन में बांट कर देखा जाए तो बीजेपी ने North, West और North East ज़ोन में कुल 65 सीटें गंवाई हैं, जबकि South Zone में No Profit-No Loss की कंडीशन रही। सिर्फ East ज़ोन में बीजेपी की 3 सीटें बढ़ी हैं।
2. बीजेपी ने 2019 में जिन 303 सीटों पर जीत हासिल की थी, उनमें से 93 सीटें वो इस चुनाव में हार गई है या फिर पीछे चल रही है। इसमें सबसे ज्यादा सीटें North Zone की हैं, जहां बीजेपी ने 56 सीटें गवाईं हैं और 4 नई सीटें जीतीं है। वहीं West में बीजेपी ने 16 सीटें गवाईं है और 4 नई सीटें जीतीं हैं। इस तरह से देशभर में बीजेपी ने सिर्फ 33 नई सीटें ही जीतीं हैं।
3. सबसे ज्यादा नुकसान बीजेपी को North Zone में हुआ है, जहां बीजेपी ने 58 सीटें गवाईं हैं, जबकि पिछले आम चुनाव में बीजेपी ने इसी इलाके से एकतरफा चुनाव जीता था और 235 में से 183 सीटें जीती थीं। इस चुनाव में बीजेपी का सबसे ज्यादा नुकसान यूपी और राजस्थान में हुआ है। पिछले चुनाव में बीजेपी ने यूपी में 62 और राजस्थान में 24 सीटें जीती थीं, जबकि इस बार बीजेपी को यूपी में 29 और राजस्थान में 10 सीटों का नुकसान हुआ है। इसी तरह पिछले चुनाव में हरियाणा में पूरी दस सीटें जीतने वाली बीजेपी को इस बार यहां 5 सीटों का नुकसान हुआ है।
4. देश में पूरे दस साल तक नरेंद्र मोदी की सरकार रही है। ऐसे में चुनाव में सबसे बड़ा फैक्टर एंटी-इनकम्बेंसी पैदा हो जाता है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट बताते हैं कि बीजेपी जिन इलाकों में पीक पर थी, इस बार वहां भी सीटें बचाने के लिए पार्टी को कड़ा संघर्ष करना पड़ा। बीजेपी ने इस चुनाव में 135 सिटिंग सांसदों का टिकट काट कर नए उम्मीदवार मैदान में उतारे, पर ये ट्रिक भी फेल हो गई।
5. इस चुनाव में बीजेपी ने 543 में से 441 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ा, जबकि INDI अलायंस ने 466 सीटों पर एक साथ उम्मीदवार उतारे। इस वजह से जो वोट शेयर अलग-अलग बंटा हुआ था वो इकट्ठा होकर INDI अलायंस के पाले में गया और कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और टीएमसी को अपनी सीटें बढ़ाने में मदद मिली।
6. साउथ में खाता खोलने के लिए बीजेपी ने जमकर कोशिशें कीं। बीजेपी के स्टार प्रचारक नरेंद्र मोदी, राजनाथ सिंह, शिवराज सिंह चौहान, जेपी नड्डा, अमित शाह जैसे तमाम दिग्गजों ने एड़ी चोटी का ज़ोर लगा दिया, लेकिन साउथ की जनता को नहीं लुभा पाए। मोदी ने दक्षिण के प्रतीक सेंगोल को नए संसद भवन में स्थापित किया, काशी-तमिल संगमम और सौराष्ट्र-तमिल संगमम की शुरुआत की, लेकिन कोई दांव ना चल सका।
कुछ राज्यों में लुढ़का बीजेपी का वोट शेयर
अब आपको कुछ और POINTS बताते हैं, जिससे पता चलेगा कि देश ही नहीं बल्कि कुछ राज्यों में भी किस तरह बीजेपी का वोट शेयर बुरी तरह लुढ़का है। बीजेपी ने राम मंदिर का मुद्दा भुनाने की खूब कोशिश की, लेकिन वो बेअसर रही। जाट और किसान आंदोलन से भड़की चिंगारी ने बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाया। पहलवानों से यौन उत्पीड़न के मामले में बृजभूषण सिंह पर देर से एक्शन ना लेना बड़ी वजह बनी। यूपी में मुस्लिम और यादव फैक्टर ने बीजेपी का वोट प्रतिशत घटाने का काम किया। प. बंगाल में ध्रुवीकरण और तुष्टिकरण जैसे मुद्दों ने जोर पकड़ा और TMC को इसका फायदा मिला। कर्नाटक में BJP ने JDS के साथ चुनाव लड़ा, लेकिन उससे भी कोई फायदा नहीं मिला। प्रज्ज्वल रेवन्ना का नाम सेक्स स्कैंडल में आने से भी बीजेपी को भारी को नुकसान हुआ।
साऊथ के लोग हिंदुत्व को नहीं, बल्कि लेफ्ट विचारधारा को फॉलो करती है। इसीलिए उन्होने हिंदी पट्टी वाली बीजेपी में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। महाराष्ट्र में असली-नकली शिवसेना की लड़ाई ने जनता को कन्फ्यूज़ किया। बाल ठाकरे के नाम पर चुनाव लड़ने वाले शिवसेना गुट को फायदा मिला। गुजरात में भी पिछले दस साल के इतिहास में बीजेपी को एक सीट बनासकांठा गंवानी पड़ी। पूर्वोत्तर के राज्यों में बीजेपी कई बड़े नेता हिंदू-मुसलमान करते रहे जिसका खामियाज़ा पार्टी को इस चुनाव में भुगतना पड़ा।
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