Lok Sabha Election 2024: मिशन 2024 के चलते देश में चल रहे लोकसभा चुनाव अब अपने अंतिम चरण में आ पहुंचे हैं। देशभर में 6 चरणों में मतदान हो चुके हैं, अब सातवें की बारी है, जिसके लिए तमाम सियासत दलों की पूरी तैयारी है। एक तरफ सत्ताधारी भाजपा है जो अपनी जीत को लेकर पूरी तरह आश्वस्त है तो वहीं दूसरी तरफ विपक्षी दल हैं, जिनका जोश भी हाई है, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि इस पूरे चुनावी शोर में जिसका शोर सबसे कम सुनाई दिया, आखिर वो साइलेंट वोटर किसके साथ है। देश के ऐसे साइलेंट वोटर जो बड़ी से बड़ी सत्ता को हिलाने का माद्दा रखते हैं।
लोकसभा चुनाव का आगाज़ जितना ज़बरदस्त हुआ था, उसका अंजाम भी उतना ही दमदार होने वाला है। सात में से छह चरणों में मतदान हो चुके हैं, अब बस एक चरण बाकि है। इसके बाद नतीजे हम सबके सामने होंगे। पता चल जाएगा कि प्रधानमंत्री मोदी तीसरी बार सरकार बनाने जा रहे हैं या फिर इंडी गठबंधन वाले खेल बिगाड़ने जा रहे हैं। चुनाव समर आते-आते पक्ष विपक्ष ने आक्रामक तेवर दिखाए, खूब हिंदू मुसलमान किया, एक दूसरे पर मुजरा करने जैसे लांछन लगाए औऱ मर्यादा की सारी सीमाओं को पार कर दिया। सियासी पारा बढ़ता ही गया और जोश किसी ने कम होने नहीं दिया। बात करें 80 लोकसभा सीटों वाली यूपी की तो यूपी के दो लौंडो ने मिलकर योगी-मोदी को कड़ी चुनौती दी। बहन प्रियंका गांधी भी फुल अटैकिंग मूड में दिखीं। दिल्ली और यूपी के शहज़ादे राहुल-अखिलेश ने 80 में से 79 सीटें जीत कर यूपी में इंडी गठबंधन बनाने का दावा किया तो वहीं बीजेपी ने भी अपनी बैटिंग जारी रखी। वैसे चुनाव प्रचार में हर नेता, हर पार्टी अपनी जीत का दावा करती ही है लेकिन जमीनी स्तर पर भाजपा की जमीन हिला पाना इतना आसान नहीं है।
दरअसल पिछले 10 सालों में भाजपा ने संगठन और सरकार के साझा प्रयास से यूपी की हर जाति समुदाय में अपनी पैठ बना ली है, फिर चाहे वो सपा का यादव हो, बसपा का जाटव, बीजेपी ने हर समुदाय में सेंध लगा ली है। इतना ही नहीं, यूपी के तीनों विपक्षी दलों सपा, बसपा, कांग्रेस के कट्टर वोट बैंक वाले मुस्लिम समाज को भी भाजपा अपने खेमे में लाने में काफी हद तक कामयाब हुई है। सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाकर मुस्लिम समाज को ललचाने में बीजेपी ने कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन इन सबके अलावा बीजेपी ने अपने लिए एक और बड़ा वोट बैंक खड़ा कर लिया है, जो किसी भी धर्म, जाति और और समाज से परे है। और वो वोट बैंक है देश की आधी आबादी, यानी हमारी महिला मतदाता, जो आज सबसे बड़ी ताकत का प्रतीक बन चुकी हैं। उन्ही की ताकत के दम पर 2014 से बीजेपी को दो बार लोकसभा चुनाव, तमाम राज्यों के विधानसभा चुनाव, प्रदेश स्तर के पंचायत चुनाव और निकाय चुनाव में भी सफलताएं हासिल हुई हैं। उन्ही महिला मतदाताओं को राहुल-अखिलेश ने भी इस चुनाव में अपनी तरफ करने की भरपूर कोशिश की।
राजनीतिक विशलेषकों की मानें तो मौजूदा दौर में महिला मतदाता- सरकार बनाने में मजबूत भूमिका निभाने लगी हैं। आजादी से लेकर आज तक, देश में वोटिंग ट्रेंड को देखें तो जो महिलाएं पहले कभी पुरुषों के मुकाबले काफी कम वोट करती थीं, अब वही महिलाएं कंधे से कंधा मिलाकर सरकारें चुन रही हैं। आंकड़े बताते हैं कि UPA-1 से पहले महिला और पुरुषों में वोटिंग का अंतर 12 से 14 फीसदी तक हुआ करता था, लेकिन 2004 के आम चुनाव में ये अंतर घटकर 9 से 10 फीसदी रह गया। 5 साल बाद 2009 में जब फिर से UPA की सरकार बनी तो ये आंकड़ा और घटा, तब पुरुषों के मुकाबले सिर्फ 5 से 6 प्रतिशत कम महिला मतदाताओं ने वोट किया था।
मोदी लहर चली तो 2014 में ये अंतर 2 फीसदी से भी कम हो गया और 2019 में देश वो चमत्कार हुआ, जिसकी आज़ाद भारत में भी कभी कल्पना नहीं की जा सकती थी। उस चुनाव में महिलाओं ने मतदान करने के मामले में पुरुषों से बराबरी हासिल कर ली थी। 2019 के चुनाव में जब दूसरी बार मोदी सरकार बनी तो पूरे देश में महिलाओं और पुरुषों का वोट प्रतिशत एक बराबर ही रहा। 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद CSDS के एक सर्वे ने खुलासा किया कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में बीजेपी ज्यादा लोकप्रिय है।
बात करें माजूदा चुनाव यानि 2024 की तो इस बार उत्तर प्रदेश में मतदाताओं की कुल संख्या 15.29 करोड़ है। इनमें 8.14 करोड़ पुरुष हैं जबकि 7.15 करोड़ महिला वोटर्स हैं। इस बार करीब 31 लाख नई महिला वोटर भी यूपी में जोड़ी गई हैं।
पहली बार वोट डालने वाली महिला वोटर्स की कुल संख्या करीब साढ़े 20 लाख है। जो फिर से हवा का रुख बीजेपी की ओर करने का काम कर सकती हैं।
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कुछ पुराने आंकड़ों पर नज़र डालें तो 2022 में यूपी विधानसभा चुनाव और 2023 के एमपी विधानसभा चुनाव के बाद तमाम EXIT POLLS से पता चला था कि अपने विरोधियों के मुकाबले बीजेपी को महिला वोटरों का ज्यादा साथ मिला था। दरअसल ना सिर्फ यूपी बल्कि पूरे देश में महिलाओं को लेकर बीजेपी की नीतियां बिलकुल साफ और स्पष्ट हैं। बीजेपी लगातार महिला वोटरों को तमाम सरकारी योजनाओं के साथ तीन तलाक पर प्रतिबंध, महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण जैसी बातें याद दिलाती रही है। खुद प्रधानमंत्री मोदी लगातार अपनी चुनावी सभाओं में लखपति दीदी, ड्रोन दीदी जैसी योजनाओं का जिक्र कर रहे हैं, जिसका सीधा और बड़ा फायदा बीजेपी को और बड़ा नुकसान विपक्षी दलों को आने वाले चुनावी नतीजों में मिल सकता है। पीएम मोदी जानते हैं कि 2014 के बाद से बीजेपी की हर जीत में महिलाओं का सबसे बड़ा योगदान रहा है। वो उन्हे यूपी में जीत के लिए सारथी तक बता चुके हैं। इसी वजह से महिलाओं का भी मोदी के सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास वाले नारे में पूरा विश्वास है और यही विश्वास हासिल करना इंडी गठबंधन के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गया है।