Violent protests in Bangladesh: बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण को लेकर हिंसा हो रही है। शुक्रवार को इस हिंसा ने भयानक रूप धारण कर लिया। जिसके बाद बांग्लादेश में कर्फ्यू लगा दिया है। पीएम शेख हसीना के प्रेस सचिव ने किसी भी तरह की भीड़ और रैली करने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है।
बता दें, इस हिंसा में अब तक 105 लोग मारे जा चुके हैं। वहीं, सबसे ज्यादा मौतों का आंकड़ा बांग्लादेश की राजधानी ढ़ाका से सामने आया है। वहां पर सबसे ज्यादा 52 मौतें हुई हैं।
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दरअसल, पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग की और आंसूगैस के गोले भी दागे। देश में इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं बंद हैं। 15 वर्षों से सत्ता में बनी प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार के लिए इस हिंसा को रोकना एक बड़ी चुनौती है। कई दिनों से जारी हिंसा को रोकने में पुलिस के विफल रहने के बाद सेना को तैनात करना पड़ा है।
पीएम शेख हसीना के प्रेस सचिव नईमुल इस्लाम ने बताया कि सरकार ने लोगों की सहायता के लिए सेना तैनात करने और कर्फ्यू लगाने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि कर्फ्यू तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है।
405 भारतीय छात्र लौटे
बांग्लादेश में 8,000 छात्रों समेत करीब 15000 भारतीय हैं। सभी सुरक्षित हैं। अब तक 405 छात्र स्वदेश लौट आए हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर हालात पर नजर बनाए हुए हैं।
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क्यों हो रहा प्रदर्शन
कहानी 1971 की है। ये वो साल था जब मुक्ति संग्राम के बाद बांग्लादेश को पाकिस्तान से आजादी मिली। एक साल बाद 1972 में बांग्लादेश की सरकार ने स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 फीसदी आरक्षण दे दिया। इसी आरक्षण के विरोध में इस वक्त बांग्लादेश में प्रदर्शन हो रहे हैं।