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ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत… हादसा या साजिश?

ईरानी मीडिया का कहना है कि राष्ट्रपति रईसी रविवार को अजरबैजान में किज़ कलासी और खोदाफरिन बांध का उद्घाटन करने गए थे। उद्घाटन करने के बाद रईसी तबरेज शहर की ओर जा रहे थे. जो ईरान के पूर्वी अज़रबैजान प्रांत की राजधानी है. इसी दौरान रास्ते में खराब मौसम के चलते हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया। सोमवार सुबह जैसे ही ईरानी राष्ट्रपति की मौत की खबर सामने आई तो कुछ लोग इसके पीछे साज़िश की बात करने लगे. सोशल मीडिया पर तो कुछ लोग इसे ईरान के दुश्मन इजरायल की साजिश करार दे रहे हैं और ये सवाल कर रहे हैं कि ये कैसे हो सकता है कि राष्ट्रपति के काफिले के दो हेलिकॉप्टर सही सलामत वापस आ गए और सिर्फ रईसी का हेलिकॉप्टर ही हादसे का शिकार हुआ है।
Iran President Ibrahim Raisi Death | Iran | shreshth bharat |

Iran President Ibrahim Raisi Death: सोमवार की सुबह लोग अपने कामकाज की भागदौड़ में लगे थे कि तभी दुनिया को हैरान करने वाली एक बड़ी खबर सामने आई। पता चला कि ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की एक हेलिकॉप्टर क्रैश में मौत हो गई। बताया गया कि ईरानी राष्ट्रपति के साथ उस हेलिकॉप्टर में ईरान के विदेश मंत्री समेत कुल नौ लोग सवार थे और हादसे में सभी की मौत हो गई।

इब्राहिम रईसी की मौत, हादसा या साजिश?

ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत से दुनियाभर में एक नई बहस शरू हो गई है। चीन, भारत, रूस, सउदी अरेबिया समेत कई बड़े-बड़े देश रईसी की मौत पर शोक प्रकट कर चुके हैं। तो वहीं ईरान के मित्र देश रईसी की मौत को साजिश बता रहे हैं। दरअसल, ईरानी राष्ट्रपति का हेलिकॉप्टर रविवार को क्रैश हुआ था, लेकिन उनकी मौत की पुष्टि सोमवार को मलबा मिलने के बाद हुई। ईरान की कैबिनेट ने अपने आधिकारिक बयान में राष्ट्रपति की मौत पर संवेदना जताई है और कहा कि ईरान की शासन व्यवस्था पहले की तरह चलती रहेगी। साथ ही ये भी बताया कि हेलिकॉप्टर में क्रैश के वक्त राष्ट्रपति के बॉडीगार्ड, पायलट, को पायलट, सुरक्षा प्रमुख जैसे अधिकारी भी सवार थे। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने बताया कि जिस जगह पर हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ वहां का मौसम ख़राब था। क्रैश में रईसी का हेलिकॉप्टर पूरी तरह से जल गया था. इस वजह से बचाव दल को घटनास्थल तक पहुंचने में काफ़ी मशक्कत करनी पड़ी।

उद्घाटन करने गए थे राष्ट्रपति रईसी

ईरानी मीडिया का कहना है कि राष्ट्रपति रईसी रविवार को अजरबैजान में किज़ कलासी और खोदाफरिन बांध का उद्घाटन करने गए थे। उद्घाटन करने के बाद रईसी तबरेज शहर की ओर जा रहे थे। जो ईरान के पूर्वी अज़रबैजान प्रांत की राजधानी है। इसी दौरान रास्ते में खराब मौसम के चलते हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया। सोमवार सुबह जैसे ही ईरानी राष्ट्रपति की मौत की खबर सामने आई तो कुछ लोग इसके पीछे साज़िश की बात करने लगे। सोशल मीडिया पर तो कुछ लोग इसे ईरान के दुश्मन इजरायल की साजिश करार दे रहे हैं और ये सवाल कर रहे हैं कि ये कैसे हो सकता है कि राष्ट्रपति के काफिले के दो हेलिकॉप्टर सही सलामत वापस आ गए और सिर्फ रईसी का हेलिकॉप्टर ही हादसे का शिकार हुआ है।

हादसे में हमारी कोई भूमिका नहीं, बोला इजरायल

ये सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि पिछले कुछ महीनों से हमास और इजरायल के तनाव में ईरान खुलकर हमास का समर्थन कर रहा था। इसी वजह से कुछ दिन पहले ईरान और इजरायल में भी तनातनी बढ़ रही थी। दोनों देश एक-दूसरे को टारगेट कर हवाई हमले तक करने की धमकियां दे रहे थे। ईरानियों की तरफ से ये थ्योरी इसलिए भी गढ़ी जा रही है क्योंकि गाजा में चल रहे इजरायली हमले के बीच कुछ समय पहले ईरान ने इजरायल पर हमला कर दिया था। जिसके बाद इजरायल ने ईरान को इसके गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी थी, लेकिन अब रईसी की मौत के बाद इजरायल ने बिना देर किए अपनी सफाई पेश करते हुए कहा है कि इस हादसे में हमारी कोई भूमिका नहीं है। इज़रायल के समर्थन में अमेरिका के सीनेटर चक शूमर ने भी कहा है कि अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसियों को ऐसे कोई सबूत नहीं मिले हैं, जिनके आधार पर ईरानी राष्ट्रपति की मौत में किसी तरह की साजिश की बात सामने आई हो। शूमर ने कहा कि जहां ये हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ वहां का मौसम काफी खराब था।

वहीं, विदेशी मामलों के कुछ जानकार भी राष्ट्रपति की मौत के पीछे इजरायल का हाथ होने से इंकार कर रहे हैं। उनका कहना है कि ईरान के राष्ट्रपति को मारना मतलब सीधे जंग का ऐलान करने जैसा है। इजरायल की लड़ाई हमेशा ईरान की मिलिट्री और न्यूक्लियर पॉवर से रही है। इज़रायल ने कभी हाई-प्रोफाइल लोगों को टारगेट नहीं किया है। इसके अलावा द इकोनॉमिस्ट की रिपोर्ट में भी दावा किया गया है कि रईसी की मौत में इजरायल का हाथ होने की कोई वजह नज़र नहीं आती है। इज़रायल ने कभी ईरान के राष्ट्र प्रमुख को मारने की कोशिश नहीं की है। इज़रायल अच्छे से जानता है कि अगर ऐसा किया को ये तो युद्ध का आगाज़ करने जैसा है, जिसके बदले में ईरान की तरफ से भी बड़ा एक्शन देखने को मिल सकता है।

एयर ट्रांसपोर्ट की सुरक्षा में ईरान का रिकॉर्ड खराब

देशों के बीच आरोप प्रत्यारोप जारी हैं, लेकिन इन सब के बीच ईरानी हेलिकॉप्टर क्रैश होने की असली वजह का अभी तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन एक खास बात ये है कि एयर ट्रांसपोर्ट की सुरक्षा के मामले में ईरान का रिकॉर्ड हमेशा से खराब रहा है। इसकी एक वजह दशकों से लगाए जा रहे अमेरिकी प्रतिबंध भी बताए जाते हैं। रईसी बेल 212 हेलिकॉप्टर पर सवार थे। जो अमेरिका में बनाया जाता था। इससे पहले भी ईरान के रक्षा, यातायात मंत्री के अलावा ईरानी सेना के कमांडर भी प्लेन या हेलिकॉप्टर क्रैश में मारे जा चुके हैं। ईरानी सरकार ने देश के एयरक्राफ्ट सिस्टम को आधुनिक करने की जब भी कोशिशें की तो पश्चिमी देशों से कुछ समझौते करने पड़े थे, जिनमें अमेरिका के लगाए प्रतिबंधों में ढील देने जैसी बातें भी शामिल थीं, लेकिन ये सारी कोशिशें तब थम गईं, जब पूर्व राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने डील कैंसल करते हुए फिर से ईरान पर प्रतिबंध लगा दिए। वहीं, कट्टरपंथियों के हाथ में सत्ता गई तो उन्होने एविएशन सेक्टर को मज़बूत करने के लिए Household Sectors और Foreign Allies पर डिपेंड रहने की बात करके सरकारी कोशिशों की आलोचना की और इस तरह एविएशन सिस्टम के हालात जस के तस बने रहे।

इन सब के अलावा एक और खास वजह है, जिसे इस हादसे की बड़ी वजह बताया जा रहा है। अज़रबाइजान से उड़ान भरते वक्त रईसी के काफिले में तीन हेलिकॉप्टर थे, जिनमें से दो सही सलामत अपनी मंज़िल तक पहुंच गए, लेकिन जो हेलिकॉप्टर मंज़िल तक नहीं पहुंच पाया और दुर्घटना का शिकार हुआ, वो था बेल-212 हेलिकॉप्टर। आइए आपको इस हेलिकॉप्टर के बारे में कुछ बातें बताते हैं…

क्या है Bell 212 Helicopter की खासियत ?

Bell 212 Helicopter वियतनाम युद्ध में इस्तेमाल हुए UH-1 N TWIN की तरह यात्री हेलिकॉप्टर है। ये हेलिकॉप्टर सरकार और निजी दोनों ऑपरेटर्स की ओर से इस्तेमाल किया जाता है। Bell 212 Helicopter 1960 के दौर में कनाडा की सेना के लिए बनाया गया था। ये UH-1 इरोक्वाइस का नया मॉडल था। नए डिजाइन में दो इंजन इस्तेमाल किए गए जिनकी क्षमता भी पहले से ज़्यादा है। 1971 में लॉन्च होते ही इस हेलिकॉप्टर को अमेरिका और कनाडा ने अपने बेड़े में शामिल कर लिया था। ये Utility Helicopters होते हैं इसलिए इनको UH भी कहा जाता है। UH जैसे नाम सेना इस्तेमाल करती है। इन हेलिकॉप्टर्स को हर तरह के काम में लिया जा सकता है। जैसे यात्रियों को लाना और ले जाना, आग बुझाने के काम, माल ढुलाई, हथियारों की सप्लाई।

Bell 212 Helicopter में सवार थे ईरानी राष्ट्रपति

रईसी जिस हेलिकॉप्टर में सवार थे उसे इस तरह से मोडिफाइ किया गया था कि सरकार के बड़े नेता या अधिकारी इसे इस्तेमाल कर सकें। इस हेलिकॉप्टर्स को अमेरिकी कंपनी बेल टेक्सट्रॉन मैन्युफैक्चर करती है, जिसका मुख्यालय टेक्सस में है। Bell 212 Helicopter की लंबाई 17 मीटर, ऊंचाई क़रीब 4 मीटर होती है। इसमें 15 लोगों के बैठने की कैपेसिटी होती है। Bell 212 Helicopter को चलाने में 1 घंटे में क़रीब 1,35,000 हज़ार रुपये ख़र्च आता है। इससे पहले एक निजी ऑपरेटर का ऐसा हेलिकॉप्टर UAE में सितंबर 2023 में क्रैश हुआ था। ईरान में इस तरह का क्रैश साल 2018 में हुआ था। उस वक्त हुए हादसे में 4 लोग मारे गए थे।

जानें इब्राहिम रईसी का इतिहास

इब्राहिम रईसी की जिनकी मौत की खबर आज दुनियाभर की सुर्खियों में छाई हुई है। ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी 63 साल के थे। उनका जन्म साल 1960 में उत्तर पूर्वी ईरान के मशहद शहर में हुआ था। इसी शहर में शिया मुसलमानों के लिए सबसे पवित्र मानी जाने वाली मस्जिद भी है। रईसी काफी कम उम्र में ही ऊंचे ओहदे पर पहुंच गए थे। रईसी के पिता एक मौलवी थे।रईसी जब 5 साल के थे, तभी उनके पिता का निधन हो गया था। रईसी ने 15 साल की उम्र से ही एक शिया संस्थान में पढ़ाई शुरू कर दी थी। 1989 से 1994 के बीच रईसी तेहरान के Prosecutor General रहे। इसके बाद 2004 से अगले एक दशक तक Judicial Authority के डिप्टी चीफ रहे। 2014 में वो ईरान के Prosecutor General बन गए थे। ईरानी न्यायपालिका के प्रमुख रहे रईसी के राजनीतिक विचार Ultra Radical यानि बेहद कट्टरवादी माने गए। जून 2021 में रईसी उदारवादी हसन रूहानी की जगह Islamic Republic of Iran के राष्ट्रपति चुने गए थे। रईसी धार्मिक स्कॉलर और वकील भी रहे। शिया धर्मगुरुओं के Hierarchy में वे धर्मगुरू अयातोल्लाह से एक लेवल नीचे माने जाते थे।

इब्राहिम रईसी ने जब जून 2021 में ईरान की सत्ता संभाली, तब उनके सामने घरेलू स्तर पर कई चुनौतियां थीं। अब जब वो इस दुनिया में नहीं रहे तो फिर से ईरान के सामने वही सब चुनौतियां आ खड़ी हुई हैं। बताया जा रहा है कि इब्राहिम रईसी की मौत के बाद ईरान की सत्ता उप-राष्ट्रपति मोहम्मद मोखबर के पास चली जाएगी। मगर 50 दिनों के अंदर फिर से चुनाव करवाए जाने होंगे। वहीं, इस बड़ी दुर्घटना के बाद अमेरिका के एक सांसद रिक स्कॉट ने बेहद चुभने वाली बात कही है। स्कॉट ने ट्वीट कर लिखा कि अगर इब्राहिम रईसी ज़िंदा नहीं बचे हैं तो ये अच्छी बात है। वह शख्स एक आतंकवादी और तानाशाह था। ना उनसे कोई प्यार करता था और ना कोई सम्मान देता था। अगर वाकई उसकी मौत हो गई है तो ईरान के लोगों के पास कातिल तानाशाहों से अपने देश की सत्ता वापस लेने का ये अच्छा मौका है।

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