India-China Relation: भारत और चीन के बीच संबंध न केवल दोनों देशों के लिए बल्कि इस क्षेत्र और पूरी दुनिया के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। ऐसा कहना है भारत के पीएम नरेंद्र मोदी का, जिन्होंने हालिया इंटरव्यू के दौरान दोनों देशों के बीच “मजबूत और स्थिर संबंध” का महत्व को उजागर किया। इस पर अब चीन की प्रतिक्रिया आई है।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने मोदी के बात के महत्व को स्वीकार किया है। अगर दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध स्थापित होते हैं तो इसके लाभ ढेरों हैं लेकिन अगर संबंधों में संशय और असामान्यता बनी रहती है तो नुकसान काफी अधिक हैं।
बता दें, भारत और चीन के बीच सीमा मुद्दा बहुत जटिल हो चुका है। हाल ही में चीन ने अरुणाचल प्रदेश पर फिर से अपना दावा जताया था। चीन अरुणाचल को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा मानता है। माओ निंग ने भी कहा दोनों देशों के बीच सीमा मुद्दा एक महत्वपूर्ण पहलू बना हुआ है लेकिन इसको विवेकपूर्ण ढंग से ही सुलझाना होगा।
उन्होंने कहा कि, चीन और भारत के बीच मजबूत और स्थिर संबंध साझा हितों की पूर्ति करते हैं और ये क्षेत्र में शांति और विकास के लिए जरूरी हैं। ऐसे में जो मतभेद हैं उनसे निपटने के लिए लॉन्ग टर्म रणनीति बनाने की जरूरत है। हमें उम्मीद है कि भारत चीन के साथ समान दिशा में काम करेगा।
बता दें, गोइंग त्सो (झील) एरिया में हिंसक झड़प के बाद 5 मई, 2020 को पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध पैदा होने के बाद से भारत और चीन के बीच संबंधों में गतिरोध बना हुआ है। दोनों देशों में हालांकि व्यापारिक संबंध पहले की तरह बहाल हैं। इस मसले का समाधान ढूंढने के लिए लिए दोनों पक्ष अब तक कोर कमांडर लेवल की 21 दौर की वार्ता कर चुके हैं।
फिलहाल स्थिति यह है कि चीनी सैनिक ऐसी कई जगहों पर आगे बढ़ चुके हैं जिन पर भारत को आपत्ति है। इसके लिए भारत पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) पर विवादित क्षेत्रों से सेना हटाने का दबाव बना रहा है। भारत का साफ कहना है कि चीन के साथ उसके संबंधों में सामान्य स्थिति तब तक नहीं आ सकती जब तक सीमाओं पर स्थिति असामान्य है।