नवरात्रि हिंदुओं का एक प्रमुख पर्व है। नवरात्रि में देवी के नौं रूपों का पूजन किया जाता है। इस बार कटरा नवरात्रि उत्सव में माता वैष्णोदेवी की थीम पर ‘यक्षगान’ थिएटर प्रस्तुति का प्रदर्शन किया जाएगा।
अक्टूबर से शुरू होने वाले जम्मू कश्मीर के रियासी जिले के कटरा में पहली बार माता वैष्णो देवी पर केंद्रित कर्नाटक के प्रसिद्ध ‘यक्षगान’ थिएटर की प्रस्तुति होगी।
श्री माता वैष्णो देवी के गुफा मंदिर की सुचारू तीर्थयात्रा के लिए सभी तैयारियां कर ली गई हैं। कर्नाटक की प्रसिद्ध ‘यक्षगान’ थिएटर प्रस्तुति माता वैष्णो देवी की थीम पर उद्घाटन दिवस पर प्रदर्शित की जाएगी। बोर्ड के अध्यक्ष ने महोत्सव में देश के अलग-अलग हिस्सों से कला और रंगमंच के कई रूपों को शामिल करने को कहा है।
यक्षगान दक्षिण भारत से शुरू हुआ नृत्य-नाटक का एक रूप है और कर्नाटक से बहुत करीब से जुड़ा हुआ है। बड़ी और रंगीन पोशाकें, श्रृंगार और मुखौटे इस कला की सबसे अहम विशेषताओं में से हैं।
इस साल के नवरात्रि उत्सव में रजिस्ट्रेशन और आरएफआईडी (रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन) सेटअप को मजबूत किया जाएगा। एक परियोजना नवदुर्गा पथ है जहां नवदुर्गा के नौ रूपों का प्रदर्शन किया गया है, ताकि यात्रियों को स्काईवॉक में प्रवेश करने पर आध्यात्मिक माहौल मिल सके। शारदीय नवरात्रि के दौरान तीन लाख से ज्यादा तीर्थयात्री श्रद्धालूं माता के दर्शन के लिए आते हैं। इस साल भी इसी तरह की प्रतिक्रिया की उम्मीद है। 15 अक्टूबर को नवरात्रि का उद्घाटन उत्सव शुरू होगा।
क्या है यक्षगान ?
यक्षगान कर्नाटक के तटीय क्षेत्र में किया जाने वाला यह प्रसिद्ध लोकनाट्य है।
यक्ष का शाब्दिक अर्थ है- यक्ष के गीत। कर्नाटक में यक्षगान की परंपरा लगभग 800 वर्ष पुरानी मानी जाती है।
इसमें संगीत की अपनी शैली होती है जो भारतीय शास्त्रीय संगीत ‘कर्नाटक’ और ‘हिन्दुस्तानी’ शैली दोनों से अलग है।
यह संगीत, नृत्य, भाषण और वेशभूषा का एक समृद्ध कलात्मक मिश्रण है, इस कला में संगीत नाटक के साथ-साथ नैतिक शिक्षा और जन मनोरंजन जैसी विशेषताओं को भी महत्त्व दिया जाता है।
यक्षगान की कई सामानांतर शैलियाँ हैं जिनकी प्रस्तुति आंध्र प्रदेश, केरल, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में की जाती है।