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‘कहां चलेगा, कहां नहीं…; सुप्रीम कोर्ट की बुलडोजर एक्शन पर 10 बड़ी बातें

Supreme Court On Bulldozer Action: सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर न्याय पर अंकुश लगाने के लिए कड़े दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
Supreme Court On Bulldozer Action

Supreme Court On Bulldozer Action: सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर न्याय पर अंकुश लगाने के लिए कड़े दिशा-निर्देश जारी किए हैं। साथ ही ये भी कहा कि कार्यपालिका किसी व्यक्ति को दोषी घोषित नहीं कर सकती, न ही वह न्यायाधीश बनकर किसी आरोपी व्यक्ति की संपत्ति को ध्वस्त करने का फैसला कर सकती है।

नोटिस दिए बिना नहीं की जाएगी तोड़फोड़

सर्वोच्च न्यायालय ने निर्देश दिया कि संपत्ति के मालिक को 15 दिन पहले नोटिस दिए बिना कोई भी तोड़फोड़ नहीं की जानी चाहिए। न्यायालय ने कहा कि नोटिस मालिक को पंजीकृत डाक से दिया जाना चाहिए और संरचना के बाहरी हिस्से पर भी चिपकाया जाना चाहिए।

नोटिस में अनधिकृत निर्माण की प्रकृति, विशिष्ट उल्लंघन का विवरण और विध्वंस के आधार शामिल होने चाहिए। विध्वंस की वीडियोग्राफी होनी चाहिए और इन दिशा-निर्देशों का कोई भी उल्लंघन अवमानना ​​को आमंत्रित करेगा। यह फैसला जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने सुनाया।

जस्टिस बीआर गवई ने सुनाई कविता

वहीं, जस्टिस बीआर गवई ने अपने फैसले की शुरुआत में एक कविता के साथ शुरुआत की और कहा, “अपना घर हो, अपना आंगन हो, इस ख्वाब में हर कोई जीता है। इंसान के दिल की ये चाहत है कि एक घर का सपना कभी न छूटे।”

क्या हो सकता है क्या नहीं?

  • घर इसलिए नहीं गिराया जा सकता क्योंकि कोई व्यक्ति आरोपी है। राज्य आरोपी या दोषी के खिलाफ मनमानी कार्रवाई नहीं कर सकता है।
  • बुलडोजर एक्शन सामूहिक दंड देने के जैसा है, जिसकी संविधान अनुमति नहीं देता है।
  • निष्पक्ष सुनवाई के बिना किसी को दोषी नहीं बनाया जा सकता है।
  • कानून के शासन, कानूनी व्यवस्था में निष्पक्षता पर विचार करना होगा।
  • कानून का शासन मनमाने विवेक की अनुमति नहीं देता है। चुनिंदा डिमोलेशन से सत्ता के दुरुपयोग का सवाल उठता है।
  • आरोपी और यहां तक ​​कि दोषियों को भी आपराधिक कानून में सुरक्षा दी गई है। कानून के शासन को खत्म नहीं होने दिया जा सकता है।
  • संवैधानिक लोकतंत्र में नागरिक अधिकारों और आजादी की सुरक्षा जरूरी है।
  • अगर कार्यपालिका मनमाने तरीके से किसी नागरिक के घर को इस आधार पर ध्वस्त करती है कि उस पर किसी अपराध का आरोप है तो यह संविधान कानून का उल्लंघन है।
  • अधिकारियों को इस तरह के मनमाने तरीके से काम करने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।
  • अधिकारियों को सत्ता का दुरुपयोग करने पर बख्शा नहीं जा सकता।

ये भी पढ़ें- 15 दिन पहले…; बुलडोजर एक्शन के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए दिशा-निर्देश


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