Suresh Gopi Wants To Resign: कल यानी रविवार को केरल के त्रिशूर लोकसभा सीट से बीजेपी सांसद सुरेश गोपी ने शपथ ली थी। उन्हें मोदी सरकार में मंत्री बनाया गया है। लेकिन अब खबर आ रही है कि सुरेश ये पद छोड़ना चाहते हैं। न्यूज 18 में छपी खबर के मुताबिक, सुरेश गोपी इस्तीफा देना चाहते हैं। उन्होंने कहा था कि वह मंत्री नहीं रहना चाहते हैं। वह चाहते हैं कि उन्हें मंत्री पद से रिलीव किया जाए। हालांकि, अभी तक इस बारे में भारतीय जनता पार्टी की ओर से कोई भी प्रतिक्रिया नहीं आई है।
एक टीवी न्यूज चैनल से बात करते हुए सुरेश गोपी ने कहा कि वो मंत्री पद छोड़ना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि मुझे केंद्रीय मंत्रिमंडल से मुक्त कर दिया जाएगा। मुझे अपनी फ़िल्में पूरी करनी हैं। केंद्रीय नेतृत्व को फैसला करने दीजिए। सांसद के तौर पर मैं त्रिशूर में अपनी क्षमता के अनुसार सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करूंगा। मैंने कहा था कि मुझे कैबिनेट पद नहीं चाहिए।’
केरल में पहली बार कमल खिलाने वाले Suresh Gopi को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ा इनाम दिया। सुरेश गोपी को मोदी मंत्रिमंडल में जगह दी गई। हालांकि, चुनाव प्रचार के दौरान गोपी ने केरल के मतदाताओं से वादा किया था कि अगर वे चुनाव जीतते हैं और भाजपा सत्ता में आती है, तो उन्हें मंत्री बनाया जाएगा। शायद ये भी एक वजह रही होगी कि भाजपा ने सुरेश गोपी को मंत्रिमंडल में जगह दी।
अभिनेता से नेता बने सुरेश गोपी अभी तक 250 से ज्यादा फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं। साउथ फिल्म इंडस्ट्री में उनकी अपनी एक अलग पहचान है। साल 2016 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी को ज्वाइन कर लिया। गोपी ने साल 2019 लोकसभा चुनाव में त्रिशूर से हार का सामना करना पड़ा था। उन्हें 2021 के विधानसभा चुनाव में भी हार झेलनी पड़ी थी। लेकिन इन हारों के बाद भी वो अपने इलाके में डटे रहे।
साल 2016 मे उन्हें राष्ट्रपति ने राज्यसभा सदस्य नामित किया था। पिछले आठ सालों में उन्होंने राज्य में भाजपा का जनाधार बढ़ाने में खासी मदद की है और पहली बार कांग्रेस और सीपीएम के बीच बंटे राज्य में कमल खिलाया है। त्रिशूर में उन्होंने अपने चुनावी अभियानों में खुलकर इस बात का प्रचार किया था कि अगर वे और भाजपा जीतते हैं, तो उनका मंत्री बनना तय है। त्रिशूर में जगह-जगह दीवारों पर अब भी यह लिखा दिख जाएगा कि त्रिशूर के लिए एक कैबिनेट मंत्री, मोदी की गारंटी।
गोपी ने चुनाव जीतने के बाद यह कहना शुरू कर दिया था कि वे मंत्री नहीं बनना चाहते, बल्कि केरल और तमिलनाडु के लोगों के लिए एक ऐसे प्रतिनिधि के तौर पर काम करना चाहते हैं, जिसकी सभी मंत्रालयों में सुनवाई हो। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वे किसी पार्टी के नेता से पहले राज्य की जनता के प्रतिनिधि हैं। गोपी का यह पहला चुनाव नहीं है, 2019 में भी वे त्रिशूर से चुनाव लड़े थे, लेकिन तीसरे स्थान पर रहे थे। तब कांग्रेस के टीपी प्रथपन ने चुनाव जीता था। हालांकि, 2014 में केरल में भाजपा का वोट शेयर 11.15 फीसदी था, जो 2019 में बढ़कर 28.2 फीसदी हो गया।
लगातार तीन बार हारे, फिर भी धर्मार्थ सेवा में जुटे रहे
सुरेश गोपी तीन बार लगातार हार के बाद भी अपने क्षेत्र में टिके रहे और राज्यसभा सदस्य के तौर पर सांसद कोटे से धर्मार्थ गतिविधियों में जुटे रहे। इसके अलावा सांसद कोटे से कई विकास परियोजनाओं को अंजाम दिया। 2023 में सीपीएम के खिलाफ उन्होंने को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले को लेकर सत्ताधारी पार्टी के नेताओं को घेरा।
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