क्या CAA मुसलमानों से भेदभाव करता है? यह सवाल सुप्रीम कोर्ट में पूछा गया है। आज कानून को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं ने कहा है CAA धर्म के आधार पर मुसलमान के खिलाफ भेदभाव करता है। उन्होंने तर्क दिया है यह अनुच्छेद 14 के तहत मानवता के अधिकार का उल्लंघन करता है। सुप्रीम कोर्ट नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के खिलाफ दायर 200 से अधिक याचिकाकर्ताओं पर आज यानी मंगलवार को सुनवाई करेगा। नागरिकता संशोधन अधिनियम के नियमों को लागू करने पर रोक लगाने की मांग को लेकर भी कई याचिकाएं दर्ज की गई है। भारत के मुख्य न्यायाधीश डी ई चंद्रचूड़ए, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ मामले की सुनवाई करेगी। CAA को भारत की संसद ने 11 दिसंबर 2019 को पारित किया था। उसके बाद से ही यह कानून बहस और विरोध का विषय रहा है।
सीएए को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ताओं ने कहा है सीएए धर्म के आधार पर मुसलमान के खिलाफ भेदभाव करता है। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया है कि यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत सामानत के अधिकार का भी उल्लंघन करता है। आपको बता दें, सुप्रीम कोर्ट में यह पिटीशन केरल की इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा, कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस नेता देवव्रत सैकिया, एनजीओ रिहाई मंच और सिटीजन अगेंस्ट हेट, असम एडवोकेट्स एसोसिएशन और कुछ कानून के छात्रों द्वारा लगाई गई है।
इस कानून के मुताबिक, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के हिंदू, सिख, जैन, पारसी, बौद्ध और ईसाई समुदाय से आने वाले उन प्रवासियों के लिए भारतीय नागरिकता का प्रावधान है जो अपने संबंधित देशों में धार्मिक उत्पीड़न का शिकार है और 31 दिसंबर 2014 या उससे पहले भारत में प्रवेश कर चुके हैं।