Parshuram Dwadashi 2024: हर साल वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि पर परशुराम द्वादशी मनाई जाती है। इस दिन परशुराम जी की पूजा-अर्चना और व्रत किया जाता है, जो इसे पूरी शिद्दत से करता है, उसे संतान की प्राप्ति हो सकती है। इस वर्ष परशुराम द्वादशी 19 मई को मनाई जाएगी। ऐसे में चलिए जानते हैं क्यों मनाई जाती है परशुराम द्वादशी और क्या है पूजा विधि।
परशुराम द्वादशी का महत्व
पुराणों के अनुसार, परशुराम ने घोर तपस्या की और उनकी तपस्या से खुश होकर, भगवान शिव ने उन्हें भार्गवास्त्र अर्थात परशु अस्त्र प्रदान किया। माना जाता है कि परशुराम द्वादशी के दिन ही भगवान शिव ने परशुराम जी को दिव्य परशु अस्त्र प्रदान किया था। यह अस्त्र उन्हें पृथ्वी पर बढ़ रहे अर्धम का नाश करने के लिए सौंपा था।
परशुराम द्वादशी 2024 तिथि और समय
द्वादशी तिथि आरंभ – दोपहर 1:50 बजे, 19 मई 2024
द्वादशी तिथि समाप्त – 3:59 अपराह्न, 20 मई 2024
परशुराम द्वादशी की पूजा विधि
ऐसी मान्यता है कि इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें। फिर घर के मंदिर में चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं और भगवान विष्णु और परशुराम जी की तस्वीर या मूर्ति को स्थापित करें। इसके बाद गंगाजल या किसी शुद्ध जल से सभी मूर्ति को पवित्र करें। परशुराम जी का ध्यान करते हुए 21 पीले फूल अर्पित करें और इसके साथ ही पीले रंग की मिठाई भी जरूर चढ़ाएं। भोग में तुलसी पत्र डालना न भूलें। अंत में परशुराम जी की कथा सुनें और उनके मंत्रों का जाप करें।
इन मंत्रों का जाप करें
कहा जाता है कि परशुराम द्वादशी के दिन इन मंत्रों का जाप करने से किसी भी व्यक्ति की सभी मनोकामना जल्दी ही पूरी हो जाती है। इन मंत्रों का जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए।
ॐ जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि तन्नो परशुराम: प्रचोदयात्।।
‘ॐ रां रां ॐ रां रां परशुहस्ताय नम:।।
‘ॐ ब्रह्मक्षत्राय विद्महे क्षत्रियान्ताय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात्।।’