Lok Sabha Election VIP Seats: लोकसभा चुनाव में वीआईपी सीटों को लेकर पेंच फंसा हुआ है। सबसे ज्यादा 80 लोकसभा सीटों वाले सूबे यूपी की बात करें तो बड़े नामों के उतरने की अपेक्षा है लेकिन किसी कारणवश अभी तक पार्टी पार्टियों ने उम्मीदवारों के नाम घोषित नहीं किए हैं। आइए जानते हैं किस सीट पर किस प्रत्याशी के उतरने की उम्मीद थी और अब ताजा घटनाक्रम क्या चल रहा है।
मां-बेटे की दावेदार पर कंफ्यूजन
सबसे बड़ा संशय पीलीभीत सीट को लेकर है जहां वरुण गांधी के चुनाव लड़ने की उम्मीद थी। लेकिन जिस तरह से वरुण पार्टी के खिलाफ बयानबाजी करते रहे हैं उसको लेकर भाजपा के कई नेता गांधी को टिकट देने का विरोध कर रहे हैं। बताया ये भी जा रहा है कि समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की नजरें भी वरुण पर हैं। इसी वजह से सपा ने अभी तक पीलीभीत से उम्मीदवार नहीं उतारा है।
वरुण के अलावा उनकी मां मेनका गांधी को भी सुल्तानपुर से टिकट दिया जाना अपेक्षित था लेकिन यहां भी देरी हो रही है। ये भी हो सकता है कि मां-बेटे का पीलीभीत-सुल्तानपुर से पत्ता साफ हो जाए। हालांकि माना जा रहा है कि मेनका अपनी सीट को एक बार फिर से हासिल कर सकती हैं।
देवरानी और जेठानी की टक्कर!
मैनपुरी सीट पर भाजपा मुलायम परिवार की छोटी बहू अपर्णा को उतारने जा रही है। अपर्णा यादव पिछले कुछ दिनों से मैनपुरी में जनसंपर्क अभियान तेज कर रही हैं। वहीं डिंपल का कहना है कि ये मुलायम सिंह यादव की जमीन है। चाहे सामने कोई भी आए, जीत तो नेताजी की पार्टी की होगी। सपा यहां डिंपल यादव को उतार सकती है। इसका मतलब है कि बहू बनाम बहू की टक्कर देखने के लिए मिल सकती है।
अखिलेश यादव लड़ेंगे?
डिंपल यादव के पति और सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के चुनाव लड़ने पर संशय है। कन्नौज की सीट पर वे चुनाव लड़ने की इच्छा जता चुके हैं। लेकिन अभी तक उन्होंने खुद को इस सीट से नहीं उतारा है। शायद अखिलेश राज्य राजनीति में बने रहने के लिए विधानसभा में ही रहना चाहते हैं। कन्नौज से बीजेपी ने अपना उम्मीदवार उतार दिया है।
गांधी परिवार का इमोशनल कनेक्शन
एक बड़ा भावुक कनेक्शन अमेठी और रायबरेली से है। दोनों सीटों को कांग्रेस के गांधी परिवार का गढ़ माना जाता है। लेकिन राहुल गांधी वायनाड सीट पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं तो अमेठी पर चुप्पी साधी है। पिछले चुनाव में स्मृति ईरानी ने राहुल को अमेठी में मात दी थी। माना जा रहा है कि प्रियंका भी रायबरेली से अपने हाथ खींच सकती हैं। लेकिन दूसरी तरफ ये भी है कि ये दोनों सीटें गांधी परिवार के लिए प्रतिष्ठा का सवाल हैं। इन सीटों पर कांग्रेस की चुप्पी टूटने का इंतजार है।
चंद्रशेखर रावण भी अकेले पड़े
भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर रावण का मामला भी अधर में लटका हुआ है। उनके और अखिलेश के बीच तल्खी अब किसी से छुपी बात नहीं है। चंद्रशेखर नगीना से चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन अखिलेश ने यहां सपा का उम्मीदवार उतार दिया है। बीजेपी और बसपा भी अपने कैंडिडेट्स को उतार चुकी है। चंद्रशेखर आजाद को कांग्रेस का साथ मिलने के बाद इंडिया गठबंधन में भूमिका की उम्मीद थी लेकिन अब लगता है उनको अकेले ही मैदान में उतरना पड़ सकता है।