केरल की एक मुस्लिम महिला ने अपनी संपत्ति बंटवारे को लेकर एक ऐसी शर्त रख दी कि सुप्रीम कोर्ट भी सोंचने पर मजबूर हो गया। दरअसल मुस्लिम महिला ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि वह जरूर मुस्लिम परिवार में पैदा हुई है लेकिन उसकी आस्था अब मुस्लिम धर्म में मायने नहीं रखती है। इसलिए उसकी संपत्ति का बंटवारा शरीयत कानून यानी कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के जरिए न होकर भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम के तहत होना चाहिए। वहीं महिला पूर्व मुस्लिम संगठन की अध्यक्ष भी बताई जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट और राज्य सरकार को जारी किया नोटिस
मुस्लिम महिला की याचिका पर सुनवाई को लेकर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने काफी देर तक चर्चा की। इस मामले को गंभीर समझते हुए सुप्रीम कोर्ट की ओर से केंद्र और केरल सरकार को नोटिस भी जारी कर दिया गया है। बैंच ने भारत के अटॉर्नी जनरल से एक वकील को नामित किए जाने की सिफारिश भी कि जो इस मामले में कोर्ट की मदद कर सके। इस मामले की अगली सुनवाई जुलाई के दूसरे हफ्ते में होगी।
महिला सफिया ने रखी अधिकार की बात
मुस्लिम महिला का नाम सफिया बताया जा रहा है। वह एक ऐसे संगठन की पदाधिकारी भी है जो कि जन्मे तो मुस्लिम परिवार में ही लेकिन अब उस धर्म में आस्था या भरोसा नहीं रखते हैं। अपनी याचिका में पैतृक संपत्ति बंटवारे को लेकर महिला ने कहा कि अगर हम किसी धर्म में भरोसा नहीं रखते हैं तो हमारी संपत्ति का बंटवारा किस लिहाज से शरीयत कानून से किया जाना चाहिए। हम देश के एक आम नागरिक के तौर पर जाने जाते हैं तो हमारी भी सुनवाई जाहिर तौर पर भारतीय कानून के तहत की जानी चाहिए।