केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पार्टी ने बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। उन्हें राज्यसभा में सदन का नेता नियुक्त किया गया है। मोदी 3.0 सरकार बनने के बाद जे पी नड्डा को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, रसायन और उर्वरक मंत्रालय भी सौंपा गया। इस बार पीयूष गोयल की जगह जे पी नड्डा को सदन के नेता के रूप में चुना गया है।
प्रधानमंत्री मोदी के दूसरे कार्यकाल के दौरान पीयूष गोयल राज्यसभा में सदन के नेता थे। मंत्रियों के शपथग्रहण के बाद से ही ऐसी अटकलें थीं कि जेपी नड्डा बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छोड़ देंगे, लेकिन वह अभी भी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर भी बने हुए हैं। पार्टी के मुताबिक, सभी राज्यों के 50 फीसदी में संगठन चुनाव पूरा होने के बाद ही राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव किया जाता है, जो लगभग छह महीने तक चलने की संभावना है।
जेपी नड्डा के राजनीतिक करियर की शुरुआत
साल 1975 में बिहार आंदोलन के लिए एक कार्यकर्ता के तौर पर जेपी नड्डा का नाम सामने आया था। ऐसा माना जाता है कि जेपी नड्डा के राजनीतिक करियर की शुरुआत इसी आंदोलन से हुई थी, जिसे बाद में जेपी आंदोलन का नाम दिया गया। इस आंदोलन के बाद जेपी नड्डा ABVP में शामिल हुए। उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से पहली बार साल 1977 ABVP के लिए चुनाव लड़ा और सचिव बन गए।