Ministry of Statistics and Program Implementation ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें कहा गया है कि बुनियादी ढांचा क्षेत्र की 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक के खर्च वाली 1,873 में से 449 परियोजनाओं की लागत तय अनुमान से 5.01 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा बढ़ गई है। बता दें कि 779 परियोजनाएं देरी से चल रही हैं।
परियोजनाओं की लागत में 5,01,323.33 करोड़ रुपये का इजाफा
पहले 1,873 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की मूल लागत 26,87,535.69 करोड़ रुपये थी। अब इनकी लागत 31,88,859.02 करोड़ रुपये पहुंचने का अनुमान लगाया गया है। इससे पता चलता है कि इनकी लागत में 5,01,323.33 करोड़ रुपये का इजाफा हुआ है।
देरी से चल रही परियोजनाओं की संख्या में होगी कमी
मंत्रालय ने कहा कि अगर परियोजनाओं के पूरा होने की हालिया समय सीमा के हिसाब से देखें तो देरी से चल रही परियोजनाओं की संख्या कम होकर 567 पर आ जाएगी। 779 परियोजनाओं में से 202 एक से 12 महीने, 181 परियोजनाएं 13 से 24 महीने, 277 परियोजनाएं 25 से 60 महीने व 119 परियोजनाएं 60 माह से अधिक की देरी से चल रही हैं। 779 परियोजनाओं में देरी का औसत 36.04 माह है।
परियोजनाओं में देरी की क्या है वजह?
मंत्रालय ने बताया कि इन परियोजनाओं की देरी में भूमि अधिग्रहण में विलंब, पर्यावरण और वन विभाग की मंजूरियां मिलने में देरी प्रमुख के कारण है। इसके अलावा, परियोजना का वित्तपोषण, परियोजना की संभावनाओं में बदलाव, निविदा प्रक्रिया में देरी, ठेके देने व उपकरण मंगाने में देरी, कानूनी व अन्य दिक्कतें, अप्रत्याशित भू-परिवर्तन आदि की वजह से भी इन परियोजनाओं में विलंब का कारण बताया गया है।