लोकसभा में डिप्टी स्पीकर पद को लेकर छिड़े महासंग्राम के बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक ऐसी चाल चली है, जिसका तोड़ निकाल पाना बीजेपी और कांग्रेस, दोनों के बस की बात नहीं है। उन्होने विपक्षी दलों के गठबंधन में से ही एक ऐसे नेता का नाम सामने कर दिया है, जो गैर-कांग्रेसी है और बीजेपी को भी ज़ेहनी तौर पर परेशान कर सकता है।
नई सरकार के बनने के बाद पहले कुछ दिन स्पीकर पद को लेकर पक्ष विपक्ष में घमासान मचा रहा। जैसे-तैसे वो घमासान शांत हुआ कि अब एक और नया घमासान छिड़ गया है। वो भी डिप्टी स्पीकर पद को लेकर। बीजेपी नेता और कोटा से सांसद ओम बिरला को फिर से लोकसभा स्पीकर बनाए जाने के बाद अब विपक्ष की मांग है कि डिपटी स्पीकर के पद पर विपक्ष के किसी नेता को जगह मिलनी चाहिए। अब इसी को लेकर एक बड़ा अपडेट सामने आया है।
खबर मिल रही है कि अब बहुत जल्द ही लोकसभा के डिप्टी स्पीकर का चेहरा सबके सामने होगा। इसे लेकर विपक्षी खेमे में बड़ी हलचल भी देखने को मिल रही है। बताया जा रहा है कि पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने अब खुद एक ऐसा नाम सामने कर दिया है, जिसपर पूरा विपक्ष रज़ामंद हो सकता है। राजनीतिक गलियारे में इस बात की भी हलचल है कि इस मुद्दे पर उन्होने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से बात की है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, ममता बनर्जी ने डिप्टी स्पीकर पद के लिए एक ऐसा नाम सुझाया है, जो ज़हनी तौर पर बीजेपी पर बड़ी चोट कर सकता है। वो नाम जुड़ा है समाजवादी पार्टी से, जो पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के बेहद करीबी भी बताए जाते हैं। कहा जा रहा है कि ममता दीदी ने सपा से नवनिर्वाचित सांसद अवधेश प्रसाद के नाम का प्रस्ताव डिप्टी स्पीकर के पद के लिए दिया है।
ये वही अवधेश प्रसाद हैं जो यूपी के फैज़ाबाद से लोकसभा सांसद हैं। ये वही लोकसभा क्षेत्र है, जिसमें अयोध्या नगरी भी आती है। चुनाव में इसी सीट पर बीजेपी अपनी सीट पक्की मान कर चल रही थी, लेकिन कछुए की चाल चलते हुए बाज़ी सपा ने मार ली। अब विपक्ष बार बार फैज़ाबाद से सांसद अवधेश प्रसाद को किसी ना किसी बहाने हाईलाइट कर रहा है। माना जा रहा है कि विपक्ष की ये चाल बीजेपी को चिढ़ाने के लिए चली जा रही है, लेकिन सवाल ये है कि अगर विपक्ष वाकई अवधेश प्रसाद का नाम आगे करता है तो क्या बीजेपी इससे सहमत होगी।
वहीं दूसरी तरफ पिछले कुछ दिनों से चर्चा इस बात की भी थी कि कांग्रेस खुद डिप्टी स्पीकर पद पर अपनी पार्टी के किसी नेता को बिठाना चाहती है, लेकिन ममता दीदी इस बात पर अड़ी हुई हैं कि डिप्टी स्पीकर विपक्षी चेहरा तो होगा, लेकिन इसके साथ ही वो गैर कांग्रेसी भी होना चाहिए। ममता की ये चाल ना सिर्फ बीजेपी बल्कि कांग्रेस को भी परेशान कर रही है।
आपको बता दें आज़ादी के बाद से 2014 तक लोकसभा में डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष के पास रहने की परंपरा रही है, लेकिन ये कोई अनिवार्य नियम नहीं है। क्योंकि 2014 से 2019 तक बीजेपी शासन के वक्त डिप्टी स्पीकर का पद बीजेपी के उस वक्त सहयोगी रहे AIADMK नेता थंबीदुरई के पास था। जबकि 2019 से 2024 तक बीजेपी शासन में ही लोकसभा में डिप्टी स्पीकर का पद खाली रहा। आमतौर पर लोकसभा और विधानसभाओं में नए सदन से पहले सत्र के तीसरे दिन लोकसभा स्पीकर का चुनाव होता है और फिर उसके दूसरे सत्र में डिप्टी स्पीकर को चुने जाने का सिस्टम रहा है। लेकिन ये भी कोई ज़रूरी नियम नहीं है।
पहले सत्र में ही डिप्टी स्पीकर को भी चुना जा सकता है। ये काफी अहम पद होता है। संविधान के अनुच्छेद 95A के मुताबिक स्पीकर की गैर मौजूदगी में डिप्टी स्पीकर ही उनकी सारी जिम्मेदारियों को संभालते हैं। ऐसे में स्पीकर की अनुपस्थिति में डिप्टी स्पीकर के पास ही लोकसभा की सारी शक्तियां होती हैं। आर्टिकल 93 के मुताबिक सदन में सदस्यों की शपथ के बाद जल्दी से जल्दी नवनिर्वाचित सदस्यों में से सर्वसम्मति या फिर चुनाव करवा कर एक स्पीकर और एक डिप्टी स्पीकर का चयन किया जाना चाहिए।