UP News: यूपी में नामांकन करने के बाद अपना नाम वापस लेना इज्जत का सवाल बन गया है। यही कारण है कि हर साल नामांकन वापस लेने वाले व्यक्तियों की संख्या घटती जा रही है। लोकसभा चुनाव 2024 में मात्र 20 लोगों ने अपना नामांकन वापस लिया। इसी के साथ गलत नामांकन फॉर्म भरने वाले राज्यों में यूपी टॉप पर रहा है। पिछले चुनाव में यूपी के 766 उम्मीदवारों का नामांकन पत्र खारिज किया गया है।
15 सालों में 85 फीसदी संख्या घटी
पहले नामांकन फाॅर्म भरने वालों की संख्या आज की तुलना में काफी ज्यादा होती थी, लेकिन 15 सालों में संख्या 85 फीसदी तक घटी है। उस समय नामांकन कराने के पीछे विपक्षी दलों की रणनीति होती थी। चुनाव के लिए अधिक नामांकन कर के उम्मीदवारों पर दबाव बनाया जाता था। डमी नाम वाले प्रत्याशी भी खूब नामांकन करते थे। वर्तमान समय में नामांकन वापस लेकर बैठ जाने वाले व्यक्तियों की संख्या कम होती जा रही है।
नामांकन राशि भी बढ़ी
चुनाव में कम नामांकन किए जाने की एक वजह ये भी है कि नामांकन राशि को बढ़ा दिया गया है। वर्तमान समय में नामांकन के लिए 25 हजार रुपए देने होते हैं, जोकि जब्त हो जाते हैं। इसके अलावा डमी कैंडीडेट वाली चुनावी रणनीति का भी कुछ खास प्रभाव नहीं रहा है। अगर कोई नामांकन करने के बाद उसे वापस लेता है और चुनाव में बैठ जाता है तो जनता और समाज में उसकी छवि खराब होती है। इसे व्यक्ति के सम्मान से जोड़कर देखा जाता है।
आंकड़ों में हुआ खुलासा
जानकारी के मुताबिक, पिछले लोकसभा चुनाव में 35 प्रत्याशियों ने नामांकन वापस लिया था। इनमें 29 पुरुष और 6 महिलाएं थीं। वहीं वर्ष 2014 के चुनाव में 122 नामांकन वापस लिए गए थे। इनमें से 21 महिलाएं और 101 पुरुष थे। 2009 के चुनाव में 130 नामांकन पत्र वापस लिए गए। इनमें से 109 पुरुष और 21 महिलाएं थीं। इसी के साथ नामांकन ठीक से न भरने के मामले में यूपी अव्वल रहा है। पिछले चुनाव में 766 प्रत्याशियों के नामांकन पत्र खारिज किए गए थे।