जम्मू क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास हाल ही में हुई भारी बारिश और ओलावृष्टि ने खेतों को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाया है। इस इलाके में खास तौर से 370 किस्मों के देसी बासमती चावल की खेती होती है।
जम्मू जिले के किसानों और अधिकारियों के मुताबिक धान की 90 फीसदी तक फसल बर्बाद हो गई है। इससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है। इसकी भरपाई करने के लिए किसान कड़ी मशक्कत कर रहे हैं।
सुखनंदन चौधरी, पूर्व विधायक का कहना है कि “बारिश पड़ी है, बारिश थोडी नहीं बहुत ज्यादा पड़ी है और बारिश की स्पीड भी 100 किलोमीटर से ऊपर थी और उसके साथ-साथ, बारिश के साथ-साथ ओले भी पड़े और बासमती भी अभी, कुछ बासमती थोड़ी कच्ची थी, कुछ अभी पकना शुरू हुई थी, वो सारी की सारी लेट गई, और सिर्फ मेरे ही एरिया की नहीं बल्कि आरएस पुरा की, पूरी बिशना की, जितनी भी देसी बासमती जम्मू प्रॉविंस में लगी थी, सारी की सारी लेट गई।”
जम्मू क्षेत्र के किसान एक साथ आए हैं और उन्होंने बर्बाद हुई फसल के लिए सरकार से मुआवजे की मांग की है।
श्यामलाल शर्मा, (किसान)- “किसान को हर एक लूटता है, भगवान ने भी नहीं बख्शा, उसने भी हमारी फसल का इतना नुकसान कर दिया कि अब देखकर ही इसको रोना आता है क्योंकि इतना खर्चा हुआ हमारा, इसमें कुछ भी बेनिफिट है ही नहीं, फसल की हमने 6,000 लगवाई दी हुई है, खाद और बीज का अलग से है, बुआई का अलग से है हमारा।
जम्मू के मढ़ ब्लॉक में जिला विकास परिषद के सदस्यों ने सरकार से नुकसान का गंभीरता से आकलन करने और किसानों को आर्थिक मदद देने का अनुरोध किया है।