ज्योतिष में यूं तो बहुत सी भ्रांतियां है लेकिन शनि के बारे में जितनी भ्रांतियां ज्योतिष में शायद ही किसी अन्य विषय को लेकर इतनी अफवाह या भ्रांतियां होंगी. शनि के नाम से कुछ कथित ज्योतिष जातकों को डरा ही देते है. जबकि सच ये है कि शनि भी अन्य ग्रहों की तरह से अलग अलग कुंडलियों, राशियों में अलग अलग प्रभाव देता है. हां शनि के प्रभाव में प्रबलता जरूर होती है अच्छा होगा तो तुरंत आपको फल मिलेगा वही बुरा होगा तो भी आपको तुरंत फल मिलेगा. शनि का फल आपकी कुंडली के लग्न पर, कुंडली में शनि किस राशि में बैठा है उस पर, शनि कुंडली के कौन से घर में बैठा है. मकर और कुंभ शनि की अपनी राशि होती है, वहीं शनि तुला राशि में उच्च का होता है. शुक्र और बुध इसके मित्र है तो शनि बुध और शुक्र की राशि में अच्छा फल देता है. मेष राशि में शनि नीच का होता है. शनि की सूर्य और मंगल के साथ शत्रुता होती है. शनि दसवें और ग्यारवें घर में अच्छा फल देता है. शनि एक राशि में सबसे ज्यादा समय करीब ढाई साल तक रहता है. शनि अन्य ग्रहों की तुलना में सबसे ज्यादा समय ढाई साल तक एक राशि में रहते है इसलिए शनि का गोचर सभी राशियों, लग्नों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है. शनि अगर जन्मकुंडली में अपनी राशियों मकर, कुंभ में होता है तो बहुत अच्छा फल देता है. वहीं तुला राशि में ये उच्च का होता है यहां भी शनि अच्छा फल ही देता है, शुक्र की दूसरी राशि वृष में भी शनि अच्छा फल देता है. बुध की राशियां मिथुन और कन्या में भी शनि का फल अच्छा ही रहता है.
मेष राशि में होने पर शनि नीच का होता है एक तो नीच का दूसरा अपने शत्रु मंगल की राशि इसलिए इस राशि में होने के कारण जातक को शनि के प्रतिकूल फल ही मिलते है. हां अगर कुंडली में नीच भंग हो रहा हो तो इसके फल भी बदल जायेंगे. मंगल की दूसरी राशि वृश्चिक में भी शनि का फल अच्छा नहीं होता. सिंह राशि सूर्य की राशि होती है, शनि और सूर्य के बीच शत्रुता का भाव होता है. इसलिए सूर्य की अधिपत्य वाली राशि सिंह में भी शनि का फल प्रतिकूल ही होता है. चंद्रमा के अधिपत्य वाली राशि कर्क में भी शनि का फल अच्छा नहीं होता. वहीं गुरू की राशि धनु और मीन में शनि का फल सम रहता है. शनि कुंडली में किसी भी राशि में होने के बावजूद 11वें घर में अच्छा फल देता है. 10वें और 11वें घर के लिए शनि कारक होता है. कालपुरूष की कुंडली में शनि की राशि 10वीं और 11वीं ही होती है.
शनि की अपनी तीन दृष्टि होती है तीसरी, सातवीं और दसवीं. इस प्रकार शनि कुंडली के 12 घरों में से चार घरों को प्रभावित करता है. शनि की साढ़े साती का भी लोगों में बड़ा खौफ रहता है. शनि की साढ़े कुंडली में लग्न को ना देखकर कुंडली में राशि के आधार पर देखा जाता है. कुंडली में चंद्रमा जिस घर में हो वो ही जातक की राशि मानी जाती है. राशि के आधार पर ही गोचर के ग्रहों को प्रभाव कुंडली पर देखा जाता है. शनि अगर गोचर में राशि से दूसरे, बारहवें, पहले घरों में हो तो शनि की साढ़े साती मानी जाती है. शनि की साढ़े साती कैसी रहेगी इसका भी लग्न कुंडली में शनि की स्थिति के आधार पर ही आकलन किया जाता है. हां शनि को पसीना और मेहनत बहुत पसंद है, शनि जातक से मेहनत करवाना चाहता है और इस मेहनत का जातक को फल भी जरूर मिलता है. शनि को दंडाधिकारी भी कहा जाता है. शनि अच्छे काम करने वाले को कभी परेशान करते है और गोचर में सही स्थिति में आने के बाद कर्मानुसार फल देते हैं. इसलिए शनि से डरने की जरूरत नहीं है बल्कि अच्छे कर्म करने की जरूरत है. अगर आपके कर्म अच्छे होंगे तो शनि आपको अच्छे फल ही देेंगे.
वैसे शनि को खुश करने के लिए शनि चालीसा, हनुमान चालीसा का पाठ किया जा सकता है. गरीबों की सेवा, सम्मान से भी शनि देव खुश होते है. शनि के बीज मंत्र, शनि के अन्य मंत्रों के जाप से भी शनि देव खुश होते है और अच्छा फल देना शुरू कर देते है.