आप जानते ही है कि कुंडली में 12 घर होते है एक से लेकर इन बारह घरों में मंगल ग्रह कहीं भी बैठा हो सकता है. मंगल ग्रह अगर पहले, चौथे, सातवें या फिर आठवें या बारहवें घर में बैठा हो तो कुंडली मांगलिक मानी जाती है.हालांकि मंगल के हर घर और हर राशि में फल अलग अलग होता है. जैसे जब ये पहले घर यानी लग्न के अंदर बैठा होता है तो जातक का स्वभाव काफी गुस्सैल और अहंकारी होता है. अगर चौथे घर में मंगल बैठा हो तो जीवन में सुखों में कुछ कमी देखी गई है. सातवें घर में मंगल होने से वैवाहिक संबंधों में समस्या आती हैं. अष्टम भाव में बैठा मंगल विवाह के सुख में कमी , ससुराल के सुख में कमी जैसी समस्या देता है. बारहवें घर में मंगल होने से शारीरिक क्षमताओं में कमी, क्षीण आयु, रोग कलह आदि को जन्म देता है.
मंगल को सबसे उत्तेजक ग्रह माना जाता है. वहीं सातवें भाव से विवाह, प्रेम प्रसंग, जीवनसाथी का स्वभाव आदि देखा जाता है. मांगलिक होने से कन्या के विवाह में देरी होती है हालांकि इसमें और ग्रह भी अपनी भूमिका निभाते है. ज्योतिष में मान्यता है कि अगर वर और वधू दोनों मंगली है तो ये योग समाप्त हो जाता है. वहीं वट वृक्ष के साथ मांगलिक कन्या का विवाह करने से भी इस दोष से मुक्ति मिलती है ऐसी मान्यता है. मंगल मकर राशि में उच्च का होता है वहीं मंगल कर्क राशि में नीच का होता है. मेष और वृश्चिक मंगल की खुद की राशियां होती है. मंगल के हर राशि में होने के हिसाब से मंगल के फल अलग अलग होते है.