Allahabad High Court ने मुस्लिमों को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि एक शादीशुदा मुस्लिम व्यक्ति लिव-इन में नहीं रह सकता है। कुछ दिन पहले कोर्ट में सुनवाई के लिए एक केस आया था, जिसमें एक शादीशुदा व्यक्ति हिंदू लड़की के साथ लिव-इन में रहने की मांग कर रहा था, जिसे कोर्ट ने खारिज करते हुए कहा कि इस्लाम मानने वाले व्यक्ति को अपनी पत्नी के जिंदा रहते लिव-इन में रहने का कोई हक नहीं है।
कोर्ट ने सुरक्षा की मांग को किया था खारिज
बता दें कि यह आदेश जस्टिस ए आर मसूदी और जस्टिस अजय कुमार श्रीवास्तव की प्रथम बेंच ने हिंदू लड़की स्नेहा देवी और शादीशुदा युवक मोहम्मद शादाब खान की याचिका पर दिया। इस याचिका में दोनों ने लिव-इन में रहने के दौरान सुरक्षा की मांग की थी। इस याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
लड़की के भाई ने लगाया था अपहरण का आरोप
याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से कहा कि हम दोनों बालिग हैं। एक-दूसरे की मर्जी से लिव-इन में रह रहे हैं। युवती के भाई ने मुस्लिम युवक पर अपहरण का आरोप लगाते हुए कहा कि मैने बहराइच के विशेश्वरगंज थाने में FIR दर्ज कराई थी। इस पर कोर्ट ने दोनों को लिव-इन में साथ रहने के लिए सुरक्षा की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि पुराने रीति और रिवाज भी इसकी मान्यता नहीं देते हैं। संविधान के अनुच्छेद-21 भी ऐसे रिश्ते को मान्यता नहीं देता है।
लड़की को परिवारजनों को सौंपने का आदेश
कोर्ट ने पुलिस को आदेश दिया कि स्नेहा देवी को परिवारजनों को सौंप दिया जाए और पूरे मामले की अच्छे से जांच की जाए। वहीं, कोर्ट की सुनवाई के दौरान सामने आया कि शादाब की शादी 2020 में फरीदा के साथ हुई थी। उसकी एक बेटी भी है। फरीदा इस समय अपने माता-पिता के साथ मुंबई में रह रही है।