कीर्ति चक्र (Kirti Chakra) लेते हुए स्मृति सिंह (Smriti Singh) और उनकी सास मंजू सिंह (Manju Singh) की तस्वीर ने सभी को भावनात्मक कर दिया था। सभी की सांत्वना स्मृति सिंह के साथ थी जो इतनी कम उम्र में अपने पति को खो चुकी थी। इस चर्चा के कुछ ही दिन हुए अचानक एक खबर ने सबको सन्न कर दिया। जानकारी सामने आई कि स्मृति सिंह ने अपने पति का घर छोड़ दिया।अब वो अपने सास-ससुर के साथ नहीं रहेंगी। फिर क्या जैसे ही ये खबर सामने आई जो समाज अभी तक स्मति को लेकर चिंता कर रहा था वही समाज स्मृति के खिलाफ हो गया। स्मृति के सास-ससुर भी मीडिया के सामने आ गए और अपनी बहू पर कई सारे आरोप लगा दिए। पर क्या किसी ने स्मृति के दृष्टिकोण से सोचने की कोशिश की? हर विधवा महिला, जिसके पति के गुज़र जाने के बाद उसकी ज़िन्दगी को भी ख़त्म माना जाता है। आइये जानिये हमारे साथ स्मृति सिंह के उदाहरण के ज़रिये, हमारे समाज के भेदभाव, दायरों के बारे में जो औरत को बस एक जरिया समझता है, उसकी खुद की पहचान मिटा के उसके आस पास मौजूद एक मर्द को उसका प्रतिनिधि बना देता है।