साल 1995 में एक बड़े फिल्म निर्माता मणिरत्नम ने बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद मुंबई में हुए दंगों को लेकर बॉम्बे नाम की एक फिल्म बनाई थी। फिल्म में दिखाया गया कि कैसे दंगों के वक्त शिवसैनिक वहां के मुसलमानों पर अत्याचार कर रहे थे. और उनसे लूटपाट कर रहे हैं। फिल्म के अंत में दिखाया कि बाला साहब ठाकरे से मिलता जुलता एक कैरेक्टर इस हिंसा पर शोक प्रकट करता है, लेकिन असल जिंदगी में बाल ठाकरे और उनके शिवसैनिक, इस फिल्म का विरोध करने लगती है और मुंबई में फिल्म को न रिलीज़ करने की धमकी देते हैं। उस फिल्म के डिस्ट्रीब्यूटर अमिताभ बच्चन थे। उनके बाल ठाकरे से संबंध भी अच्छे थे। लिहाज़ा वो बात करने के लिए ठाकरे के पास गए और पूछा कि क्या शिव सैनिकों को दंगाइयों के रूप में दिखाना उन्हें बुरा लगा। ठाकरे साहब ने अपने दबंग अंदाज़ में जवाब दिया – ना मुझे दंगों पर ठाकरे के कैरेक्टर का शोक प्रकट करना बुरा लगा। मैं कभी किसी चीज पर शोक नहीं जताता। ऐसे थे शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे।