साल आया 1975 इंदौर की रहने वाली शाहबानो को उनके पति मुहम्मद ने 5 बच्चों समेत घर से निकाल दिया। शाहबानो ने लंबी कानूनी लड़ी। जिसके बाद 23 अप्रैल 1985 को सुप्रीम कोर्ट ने शाहबानो के हक में ऐतिहासिक फैसला सुनाया। कोर्ट ने ये माना कि मुस्लिम महिलाओं का अधिकार किसी भी पर्सनल लॉ से ऊपर है। ये बाद मुस्लिम समाज के लोगों को नागवार गुज़री। वो कोर्ट के फैसले के खिलाफ सड़कों पर आ गए। मुस्लिम धर्मगुरुओं ने इसे अपने पर्सनल लॉ में दखल माना और इस्लाम खतरे में है के नारे बुलंद कर दिए।