kolkata Doctor Rape And Murder Case: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के एक सेमिनार हॉल में 31 वर्षीय डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या की घटना को एक महीना बीत चुका है। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। हर कोने में इस मामले में न्याय की मांग को लेकर बड़े पैमाने पर रैलियां निकाली गईं।
घटना के कुछ दिनों बाद, पीड़िता के माता-पिता की याचिका पर कलकत्ता उच्च न्यायालय ने इस संवेदनशील मामले को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंप दिया था। CBI को इस मामले को लिए 4 हफ्ते बीत चुके हैं, लेकिन आरोपी संजय रॉय के अलावा कोई और आरोपी एजेंसी के हाथ नहीं लगा है। वहीं CBI ने इस मामले में सबूतों के साथ छेड़छाड़ के आरोप में सरकारी अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष और तीन अन्य को गिरफ्तार किया है।
सबूतों की हो रही कमी- CBI
वहीं, CBI के एक अधिकारी ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि इस मामले से जुड़े ऐसे कई कारक हैं, जोकि इस मामले को सुलझाने में बाधा बन रहे हैं।
अधिकारी ने कहा कि उन्हें अपराध स्थल से पर्याप्त सबूत नहीं मिल पाए , जिसकी वजह से वह सभी साक्ष्यों को जोड़ने में असमर्थ रहे हैं। इससे जांच प्रभावित हुई है। जांच के दौरान CBI अधिकारियों ने पाया कि डॉ. संदीप घोष ने शव के मिलने के अगले ही दिन सेमिनार के पास एक शौचालय को तोड़ने का आदेश दिया था। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि सेमिनार के आसपास तोड़फोड़ की वजह से कई महत्वपूर्ण सबूत मिट गए।
एक वीडियो आया था सामने
अपराध होने के कुछ दिन बाद ही अस्पताल से जुड़ा एक वीड़ियो सामने आया था, जिसमें देखा गया था कि सेमिनार में लोगों की भीड़ घुसी थी। 14 अगस्त की रात अस्पताल में हुई भीड़ की हिंसा के बाद यह सवाल भी उठे कि क्या अपराध स्थल से छेड़छाड़ की गई थी। इससे पहले, भीड़ की हिंसा के बाद पुलिस ने कहा था कि अपराध स्थल सुरक्षित है और फर्जी खबरें फैलाने के खिलाफ चेतावनी दी थी।
सीबीआई अधिकारी ने जांच को प्रभावित करने के लिए सबूतों की कमी को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि डीएनए परीक्षण में पीड़िता और रॉय के बीच मिलान पाया गया, लेकिन संजय रॉय का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने कहा है कि वास्तविक अपराधियों को बचाने के लिए उन्हें फंसाया गया है।