उत्तराखंड राज्य वन विकास निगम (Uttarakhand State Forest Development Corporation) में करोड़ों रुपये का घोटाला होने का मामला सामने आया है। इस घोटाले की जांच एसआईटी को सौंपी गई है। यह घोटाला लालकुआं डिपो 4 और 5 में हुआ है। दरअसल, राज्य वन विकास निगम की आंतरिक रिपोर्ट में डिपो में लकड़ी की अवैध निकासी, गबन और वित्तीय अनियमितता की बात कही गई है। वन मंत्री सुबोध उनियाल ने बताया कि इस मामले की जांच एसआईटी कर रही है। निगम में किसी भी तरह की अनियमितता पर दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
नियमों को ताक पर रखकर किया गया काम
रिपोर्ट में कहा गया है कि लेजर तैयार करने में नियमों का पालन नहीं किया गया। जीएसटीकी खतौनी में लाट संख्या का जिक्र नहीं है। बताया गया कि क्रेताओं के खातों में विक्रय मूल्य और टैक्स मद में पूरी धनराशि प्राप्त किए बगैर एक करोड़ 79 लाख रुपये से अधिक के बिल जारी कर दिए गए।
राजस्व का किया गया गबन
राज्य वन विकास निगम के राजस्व के गबन का मामला भी देखने को मिला है। जिस लाट को नीलामी में 26 हजार 800 रुपये में बेचा गया, उसका विक्रय लाट रजिस्टर में मूल्य 1 लाख 98 हजार रुपये दर्ज किया गया है। अन्य लाटों की नीलामी में भी इस तरह के मामले सामने आए हैं। इसके अलावा, नियमों को ताक पर रखकर लालकुआं डिपो 4 में कर्मचारियों की पदोन्नति का मामला भी सामने आया है।
‘दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा’
उत्तराखंड राज्य वन विकास निगम के प्रांतीय अध्यक्ष टीएस बिष्ट ने बताया कि निगम में 6 करोड़ रुपये से अधिक की गड़बड़ी का मामला सामने आया है। इसमें करोड़ों रुपये का राजस्व, टीडीएस और जीएसटी का गबन शामिल है। क्षेत्रीय प्रबंधक हरीश पाल ने ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर पत्र लिखकर प्रभागीय विक्रय प्रबंधक हल्द्वानी को कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।