उत्तराखंड में सभी नागरिकों के लिए एकसमान विवाह, तलाक, जमीन, संपत्ति और उत्तराधिकार के कानून लागू होने वाले हैं, चाहे वे किसी भी धर्म के हों। जी हां, आप सही पढ़ रहे हैं उत्तराखंड में जल्द ही यूसीसी लागू होने वाला है। अगर ये कानून लागू हुआ तो उत्तराखंड आजादी के बाद यूसीसी लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा। देश में फिलहाल गोवा में यूसीसी लागू है। गोवा में पुर्तगाली शासन के दिनों से ही यूसीसी लागू है। यूसीसी के तहत प्रदेश में सभी धर्मों के नागरिकों के लिए एक जैसे अधिकार हैं।
मार्च 2022 में धामी सरकार के गठन के बाद मंत्रिमंडल की पहली बैठक में ही यूसीसी का मसौदा तैयार करने की बात हुई थी, इसके लिए विशेषज्ञ समिति के गठन को मंजूरी दे दी गई थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट की रिटायर न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया था। इस समिति में रिटायर न्यायाधीश देसाई के अलावा यूसीसी विशेषज्ञ समिति में रिटायर्ड न्यायाधीश प्रमोद कोहली भी थे। दावा किया जा रहा है कि समिति ने करीब दो साल के कार्यकाल के दौरान 2.33 लाख लिखित सुझाव मिले।
उत्तराखंड सरकार द्वारा गठित UCC विशेषज्ञ समिति ने अपनी ड्राफ्ट रिपोर्ट सीएम पुष्कर सिंह धामी को सौंप दी है। मुख्य सेवक सदन में आयोजित एक कार्यक्रम में UCC समिति की अध्यक्ष न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई ने मसौदा समिति के सदस्यों के साथ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को UCC मसौदा रिपोर्ट सौंपी। गुरूवार 1 फरवरी, 2024 को कैबिनेट बैठक में UCC ड्राफ्ट रिपोर्ट को मंजूरी मिलने के बाद इसे 6 फरवरी को विधानसभा में पेश किये जाने की उम्मीद है।
किन-किन को होगा फायदा ?
सभी धर्मों के अनुयायियों को समान अधिकार, बहु विवाह पर रोक, तलाक, संपत्ति में महिलाओं का अधिकार, उत्तराधिकार, विरासत, गोद लेना, स्थानीय व जनजातीय परंपराओं तथा रीति रिवाजों का अनुपालन व निजी स्वतंत्रता संबंधी बिंदुओं को प्रारूप में शामिल करते हुए कानून को सख्त करने पर जोर दिया गया है।
ड्राफ्ट रिपोर्ट में क्या है?
मिली जानकारी के मुताबिक समिति द्वारा प्रस्तुत समान नागरिक संहिता से संबंधित यह रिपोर्ट कुल 4 भागों में है। 780 पृष्ठों वाली इस रिपोर्ट के पहले भाग में विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट, दूसरे भाग में अंग्रेज़ी भाषा में संहिता का प्रारूप, तीसरे भाग में हितधारकों से विचार विमर्श संबंधित उप-समिति की रिपोर्ट और चौथे भाग में हिन्दी भाषा में संहिता का प्रारूप सम्मिलित हैं।
400 से ज्यादा धाराओं का उल्लेख, 2.30 लाख से अधिक सुझाव, 60 से अधिक बैठकें
4 ड्राफ्ट में 400 से ज्यादा धाराओं का उल्लेख, 2.30 लाख से अधिक सुझाव भी मिले। अब समिति समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट हिंदी व अंग्रेजी भाषा में तैयार कर चुकी है। लिव इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण अनिवार्य करने के साथ ही 18 से 21 वर्ष के युवाओं के लिए माता-पिता की अनुमति अनिवार्य की जा सकती है।
सरकार ने इसका ड्राफ्ट तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन किया था। 20 माह में समिति अब इस कार्य को पूरा कर चुकी है। इस अवधि में समिति ने प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों व समुदायों के साथ 60 से अधिक बैठकों व ऑनलाइन माध्यम से सुझाव लिए।
ड्राफ्ट को विधानसभा में पेश कर विधेयक लाएंगे- सीएम
कमेटी द्वारा ड्राफ्ट सौंपे जाने के बाद उत्तराखंड के सीएम धामी ने कहा “लंबे समय से हमें इस ड्राफ्ट का इंतजार था, आज हमें ड्राफ्ट मिल गया है। हमने उत्तराखंड की जनता से वादा किया था कि नई सरकार के गठन के बाद हम समान नागरिक संहिता के लिए कानून बनाएंगे। इस ड्राफ्ट का परीक्षण करने के बाद जो भी जरूरी औपचारिकताएं हैं उसे पूरा कर, ड्राफ्ट को विधानसभा में पेश कर विधेयक लाएंगे।”
सीएम धामी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा ‘समान नागरिक संहिता लागू करने के उद्देश्य से ड्राफ्ट तैयार करने के लिए गठित कमेटी आज देहरादून में 11 बजे मसौदा सौंपेगी। जिसकी समीक्षा करने के उपरांत हम आगामी विधानसभा सत्र में विधेयक लाकर समान नागरिक संहिता को प्रदेश में लागू करने की दिशा में आगे बढ़ेंगे। उन्होंने आगे लिखा आज का दिन हम सभी प्रदेशवासियों के लिए महत्वपूर्ण है, जब हम देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के विज़न को साकार करते हुए और अधिक मज़बूती के साथ आगे बढ़ने जा रहे हैं।’