Bangladeshi Citizens In UP: उत्तर प्रदेश में साल दर साल पश्चिम बंगाल के रास्ते घुसपैठ करके आने वाले बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिकों (Bangladeshi And Rohingya Citizens In UP) की तादाद बढ़ती जा रही है। पांच साल पहले पुलिस द्वारा किए गए सर्वे के मुताबिक, करीब 10 लाख बांग्लादेशी नागरिकों ने यूपी में ठिकाना बनाया हुआ था। वहीं, करीब 3 हजार रोहिंग्या नागरिक प्रदेश में अवैध रूप से रह रहे हैं।
सर्वे के बाद नहीं लिया ठोस कदम
जानकारी के मुताबिक, तब पुलिस अधिकारियों ने दावा किया था कि केवल राजधानी लखनऊ में ही करीब एक लाख बांग्लादेशी नागरिक अवैध रूप से रह रहे हैं। वहीं, फैजाबाद रोड स्थित अकबरनगर में भी सर्वे किया गया था। हालांकि, सर्वे के बाद कड़ी कार्रवाई नहीं की गई।
इसके अलावा, यह भी सामने आया था कि स्थानीय नेताओं ने ही अवैध रूप से निवास कर रहे बांग्लादेशी और रोहिंग्याओं को भारतीय नागरिकता के प्रमाण पत्र जैसे जन्म प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, राशन कार्ड बनवाने में मदद की थी। इनमें से अधिकतर लोगों ने असम के निवासी होने का दावा किया था, जिसकी जांच के लिए पुलिस की टीमें भेजी गई थीं।
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हालांकि, कई स्वयंसेवी संगठनों के विरोध किए जाने के बाद यह मामला ठंडा पड़ गया और इसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं की गई। पिछले साल एडीजी कानून-व्यवस्था रहे प्रशांत कुमार ने रोहिंग्या नागरिकों की धरपकड़ के लिए निर्देश दिए थे, जिसके बाद कई जिलों में अभियान भी चलाया गया था।
Bangladeshi Citizens In UP: रायबरेली में दिया जा रहा था षडयंत्र को अंजाम
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रायबरेली (Raebareli) के एक सलोन में करीब 20 हजार फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनाए गए हैं, जिनका संबध बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों से बताया जा रहा है। जांच में सामने आया है कि यहां से घुसपैठियों को भारतीय नागरिकता दिलाने का षडयंत्र चल रहा था।
बताया जा रहा है कि जन सेवा केंद्र (सीएससी) के संचालक जीशान खान, सुहेल और रियाज मोटी कमाई कर रहे थे। यही वजह है कि कुछ ही दिनों में तीनों ने अच्छी आमदनी कर ली। पुलिस का कहना है कि जीशान ने तो रायबरेली के साथ ही लखनऊ में भी अच्छी प्रॉपर्टी बना ली है। फर्जी जन्म प्रमाणपत्र में सलोन के कनेक्शन कर्नाटक, केरल और मुंबई से भी जुड़ चुके हैं।
दरअसल, इसी महीने कर्नाटक पुलिस ने पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के एक संदिग्ध को पकड़ा था। बताया जा रहा है कि उसका जन्म प्रमाणपत्र भी यहीं से बना था। जैसे ही जांच के लिए टीम रायबरेली पहुंची तो धीरे-धीरे एक के बाद एक इस मामले से जुड़े पहलू सामने आने लगे। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, सलोन से सबसे ज्यादा अल्पसंख्यकों के ही फर्जी प्रमाणपत्र बनाए गए हैं।
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वहीं, जांच में सामने आया कि ग्राम विकास अधिकारी विजय सिंह यादव की यूजर आईडी और पासवर्ड का प्रयोग कर सलोन निवासी सीएससी संचालक मोहम्मद जीशान, रियाज और सुहेल खान ने फर्जी प्रमाणपत्र बनाए। इस पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर सभी को जेल भेज दिया।
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