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संसद का आखिरी दिन


संसद का पांच दिवसीय सत्र आज से शुरू हुआ। इस दौरान PM मोदी ने लोकसभा को संबोधित किया । सरकारी एजेंडे के अनुसार 8 विधेयक पेश किये जाएगें ।

इनमे मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति संबधी विधेयक अहम है । लोकसभा में महिलाओं को आरक्षण देने वाले विधेयक के साथ-साथ समान नागरिक सहिता और देश का नाम बदलने पर चर्चा हो सकती है। हांलाकि सरकार ने बाकि विधेयकों का खुलासा अभी नहीं किया है ।

बात करें देश के मौजुदा संसद की तो इससे भारत की कई सारी यादें जुड़ी है । कुछ यादें कड़वी है तो कुछ यादों को भूले से भी नहीं भुलाया जा सकता।

सत्र के आखिरी दिन PM मोदी ने किया देश के महान राजनेताओं को याद

संसद सत्र के आखिरी  दिन, अपने आखिरी भाषण में पीएम नरेंद्र मोदी ने कई बातों का जिक्र किया। पीएम मोदी ने पुराने संसद भवन का जिक्र करते हुए कहा कि इस सदन ने देश को आगे बढ़ाने वाले फैसले किए। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में नेहरू से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी और नरसिम्हा राव का जिक्र किया।

पीएम मोदी ने कहा कि नरसिम्हा राव की सरकार ने हिम्मत के साथ पुरानी आर्थिक नीतियों को छोड़कर नई राह पकड़ने का फैसला किया था, जिसका आज देश को परिणाम मिल रहा है। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने इसी सदन में देखा सर्व शिक्षा अभियान, आदिवासी कार्यलय मंत्रालय, नॉर्थ ईस्ट का मंत्रालय अटल जी ने बनाया। परमाणु परीक्षण भारत की ताकत का परिचायक बन गया। इसी सदन में मनमोहन सिंह की सरकार कैश फॉर वोट को भी उस कांड को भी सदन ने देखा है।

मोदी ने पत्रकारों का किया जिक्र

पीएम मोदी ने पत्रकारों के कामों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि जब आज हम इस सदन को छोड़ रहे हैं तब मैं उन पत्रकार मित्रों को याद करना चाहता हूं जिन्होंने पूरा जीवन पत्रकार काल में संसद के काम को ही रिपोर्ट किया है। उन्होंने यहां के पल की पल की जानकारी देश तक पहुंचाई है। उनका सामर्थ्य था कि अंदर की खबर पहुंचाते और अंदर की अंदर की बात भी पहुंचाते थे। जिन्होंने संसद को कवर किया है शायद उनके नाम जाने नहीं जाते है, लेकिन उनके काम को कोई भूल नहीं सकता। खबरों के लिए नहीं, भारत की विकास यात्रा को समझने के लिए जानना जरूरी है। एक प्रकार से जैसी ताकत यहां की दीवारों की रही है वैसा ही दर्पण उनके कलम में रही है। पीएम ने कहा कि जैसे मेरे लिए ये सदन छोड़ना भावुक है उसी तरह से उन पत्रकारों के लिए भी वैसा ही भावुक पल होगा।

पीएम मोदी ने कहा कि इस सदन में इंद्रजीत गुप्ता थे। 43 साल तक इस सदन में रहे। उन्होंने कहा कि इस सदन की शान है कि शफीर्कुर रहमान 93 साल में इस सदन में अपना योगदान दे रहे हैं। 25 की चंद्रमणि मुर्मू इस सदन की सदस्य बनी थीं। वाद-विवाद कटाक्ष ये सबकुछ हम सबने अनुभव किया है। हम सबने शुरू भी किया है।

पीएम मोदी ने कहा कि जब मैं पहली बार इस संसद का सदस्य बना तो मैंने सहज रूप से इस संसद की सीढ़ी पर शीश झुकाकर नमन किया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि वो पल मेरे लिए भावनाओं से भरी हुई थी। मैं कल्पना नहीं कर सकता था। लेकिन भारत के लोकतंत्र की ताकत है, भारत के सामान्य मनुष्य की लोकतंत्र के प्रति श्रद्धा है कि रेलवे प्लेटफॉर्म पर गुजारा करने वाला बच्चा इस देश का पीएम बनेगा।

पीएम मोदी ने कहा कि जी-20 की सफलता किसी व्यक्ति विशेष की सफलता नहीं है। ये भारत की सफलता है। पीएम ने कहा कि भारत जब जी-20 का अध्यक्ष रहा तो अफ्रीकी यूनियन इसका सदस्य बना। कितनी बड़ी अपेक्षा और आशा पूरी करने का काम भारत के हाथ में आया। भारत के प्रति शक करने का एक स्वभाव कई लोगों का बना हुआ है। इस बार भी यही था। कोई घोषणापत्र नहीं होगा, असंभव है.. लेकिन ये भारत की ताकत है कि वह भी हुआ और विश्व सर्वसम्मति से एक साझा घोषणापत्र लेकर आगे बढ़ा।

पीएम मोदी ने कहा कि हम भले ही नए भवन में जाएंगे लेकिन ये भवन भी आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरणा देता रहेगा। पीएम ने कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता के लिए इस सदन के माध्यम से हम इस देश के वैज्ञानिकों और उनके साथियों को बधाई देता हूं और उनका अभिनंदन करता हूं।

पीएम मोदी ने कहा कि 75 साल की उपलब्धियों को याद करने और नई संसद में जाने से पहले उन प्रेरक घड़ियों को स्मरण करके आगे बढ़ने का समय है। उन्होंने कहा कि हम सब इस ऐतिहासिक भवन से विदा ले रहे हैं। आजादी के पहले ये सदन इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल का स्थान होता था। आजादी के बाद इसे संसद भवन में पहचान मिली। ये सही है कि इस इमारत का निर्माण करने का फैसला विदेशी शासकों का था, लेकिन हम ये नहीं भूल सकते हैं कि इस भवन के निर्माण में पसीना, परिश्रम और पैसे भी मेरे देश के लोगों का लगा था।

संसद की कार्यवाही शुरू होने से पहले पीएम मोदी ने मीडिया को संबोधित किया। उन्‍होंने कहा कि यह सत्र ‘ऐतिहासिक निर्णयों का सत्र है।’ पीएम मोदी ने सभी सांसदों से चर्चा में भाग लेने की अपील करते हुए तंज भी कस दिया। कहा कि ‘रोने-धोने के लिए बहुत समय होता है, करते रहिए… जीवन में कुछ पल ऐसे भी होते हैं जो उमंग से भर देते है, विश्‍वास से भर देते हैं। मैं इस छोटे सत्र को उस रूप में देखता हूं।’

प्रधानमंत्री मोदी ने ‘संविधान सभा से शुरू हुई 75 वर्ष की संसदीय यात्रा-उपलब्धियां, अनुभव, यादें और सीख’ विषय पर चर्चा की । 19 सितम्बर 2023 मंगलवार, संसद को पास में बने नए भवन में ट्रांसफर कर दिया जाएगा । मौजूदा भवन में आज कामकाज का आखिरी दिन है। देश के पुराने संसद से देश की जनता और नेताओ की ढेरो यादें जुड़ी है।


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