श्रेष्ठ भारत (Shresth Bharat) | Hindi News

Our sites:

|

Follow us on

|

राममंदिर प्रतिष्ठा की साक्षी बनेंगी अयोध्या की सरयू नदी


22 जनवरी 2024 का साल ऐतिहासिक होने वाला है। इस साल करोड़ों हिन्दुओं की आस्था सफल होने जा रही है। अयोध्या में राममंदिर की प्रतिष्ठा सालों की तपस्या सफल होने वाली है। राम मंदिर की स्थापना यूपी सरकार और केंद्र की सरकार की जुगल जोड़ी ने यह कमाल ही है। ऐसे में लोग भगवान श्री राम से जुड़ी हर चीज के बारे में जानना चाह रहे हैं। इन दिनों अयोध्या में स्थित पवित्र सरयू नदी भी चर्चा में है। इस नदी में भगवान श्री राम ने स्वयं समाधि ली थी। भारत में पवित्र नदियां हैं- गंगा, यमुना, गोदावरी, नर्मदा जैसी नदियों ने अपना एक अलग स्थान बना लिया है। वहीं आयोध्या में स्थित सरयू नदी प्रभु श्री राम के वनवास से लेकर उनकी वापसी तक की साक्षी आज राममंदिर की प्रतिष्ठा की भी साक्षी बनने जा रही हैं।

रामायण के अनुसार सरयू नदी में प्रवेश कर भगवान श्री राम ने जल समाधि ले ली थी। वहीं, इस बात का भी उल्लेख मिलता है कि भगवान श्री राम के सरयू में जल समाधि लेने पर शिवजी बहुत नाराज हुई थी। क्रोधित होकर शिव जी ने सरयू को श्राप दिया था कि तुम्हारे जल में आचमन करने पर भी लोगों को पाप लगेगा।  इतना ही नहीं, तुम्हारे जल में कोई स्नान नहीं करेगा. शिव जी के श्राप के बाद सरयू नदी इससे आहत होकर शिव जी से बोली मेरे जल में भगवान के जल समाधि लेने में मेरा क्या अपराध है। ये तो पहले से ही लिखित था। शिवज भगवान सरयू के तर्क से शांत हो गए और कहा कि मेरा शाप व्यर्थ नहीं जाएगा। भले ही तुम्हारे जल में स्नान करने से पाप नहीं लगेगा, लेकिन तुम्हारा जल पूजा में इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। 

सरयू नदी का वर्णन कई पुराणों में मिलता है. वामन पुराण के 13 वें अध्याय, ब्रह्म पुराण के 19 वें अध्याय और वायु पुराण के 45 वें अध्याय में बताया गया है कि गंगा, यमुना, गोमती, सरयू और शारदा नदी हिमालय से प्रवाहित होकर बहती है। पुराणों के अनुसार सरयू और शारदा नदी का संगम तो हुआ ही है, सरयू और गंगा का संगम श्रीराम के पूर्वज भगीरथ ने करवाया था।

पुराणों में बताया गया है कि सरयू नदी भगवान विष्णु के नेत्रों से प्रगट हुई थी। शास्त्रों के अनुसार, शंखासुर दैत्य ने वेदों को चुराकर समुद्र में डाल दिया था और खुद भी उसी में छिप गया था। तब भगवान विष्णु ने मत्सय का रूप धारण कर दैत्य का वध किया था। वेदों के ब्रह्माजी को सौंपकर अपना वास्तविक स्वरूप धारण किया था। उस समय खुशी से भगवान विष्णु की आंखों से प्रेमाश्रु टपक पड़े। श्री हरि की आंखु से निकले ये प्रेमाश्रु ब्रह्माजी ने मानसरोवर में डालकर उसे सुरक्षित कर लिया था। इस नदी का जल वैवस्वत महाराज ने बाण मारकर मानसरोवर से बाह निकाला था. यही जलधारा सरू नदी कहलाई।


संबंधित खबरें

वीडियो

Latest Hindi NEWS

PM Narendra Modi
'वंशवाद की राजनीति…', PM मोदी ने श्रीनगर में तीनों परिवारों पर बोला तीखा हमला
ind vs ban
अश्विन के शतक से शुरूआती झटकों से उबरा भारत, जडेजा ने लगाया अर्धशतक
Mathura Train Accident
मथुरा में पटरी से उतरे मालगाड़ी के 25 डिब्बे; कई ट्रेनें निरस्त
Adani Foundation
आंध्र प्रदेश में बाढ़ से बुरे हालात, अडानी फाउंडेशन ने 25 करोड़ रुपये का दिया योगदान
Gorakpur-Lucknow News
रेलवे बोर्ड ने गोरखपुर और लखनऊ के बीच चौथी लाइन को दी मंजूरी
Shoes Vastu Tips
घर की इस दिशा में भूलकर भी न उतारें जूते-चप्पल, वरना हो जाएंगे कंगाल !