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”जय जवान, जय किसान”-लाल बहादुर शास्त्री


भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म  2 अक्टूबर, 1904  को मुगलसराय में हुआ था। पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद 1964 में लाल बहादुर शास्त्री देश के दूसरे प्रधानमंत्री बन गए थे। लाल बहादुर शास्त्री सादगी भरा जीवन व्यतीत करते थे और मुश्किल परिस्थितियों में भी शांत बने रहते थे। प्रधानमंत्री बनने से पहले लाल बहादुर शास्त्री ने रेल मंत्री, परिवहन एंव संचार मंत्री, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री और गृह मंत्री का भी कार्यभार संभाला था। वे स्वतंत्रता सैनानी भी थे। वे ईमानदारी और मानवता जैसे गुणों के लिए जाने गए और मृत्योपरांत उन्हें भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था।

लाल बहादुर शास्त्री जब केवल ग्यारह वर्ष के थे। तब से ही उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर कुछ करने का मन बना लिया था। गांधी जी ने असहयोग आंदोलन में शामिल होने के लिए अपने देशवासियों से आह्वान किया था, इस समय लाल बहादुर शास्त्री केवल सोलह वर्ष के थे। उन्होंने महात्मा गांधी के इस आह्वान पर अपनी पढ़ाई छोड़ देने का निर्णय कर लिया था। बाहर से विनम्र दिखने वाले लाल बहादुर अन्दर से चट्टान की तरह दृढ़ थे।

लाल बहादुर शास्त्री ब्रिटिश शासन की अवज्ञा में स्थापित किये गए कई राष्ट्रीय संस्थानों में से एक वाराणसी के काशी विद्या पीठ में शामिल हुए। यहाँ वे महान विद्वानों एवं देश के राष्ट्रवादियों के प्रभाव में आए। विद्या पीठ द्वारा उन्हें प्रदत्त स्नातक की डिग्री का नाम ‘शास्त्री’ था लेकिन लोगों के दिमाग में यह उनके नाम के एक भाग के रूप में बस गया।

तीस से अधिक वर्षों तक अपनी समर्पित सेवा के दौरान लाल बहादुर शास्त्री अपनी उदात्त निष्ठा एवं क्षमता के लिए लोगों के बीच प्रसिद्ध हो गए। विनम्र, दृढ, सहिष्णु एवं जबर्दस्त आंतरिक शक्ति वाले शास्त्री जी लोगों के बीच ऐसे व्यक्ति बनकर उभरे जिन्होंने लोगों की भावनाओं को समझा। वे दूरदर्शी थे जो देश को प्रगति के मार्ग पर लेकर आये। लाल बहादुर शास्त्री महात्मा गांधी के राजनीतिक शिक्षाओं से अत्यंत प्रभावित थे। अपने गुरु महात्मा गाँधी के ही लहजे में एक बार उन्होंने कहा था – “मेहनत प्रार्थना करने के समान है।”

महात्मा गांधी के समान विचार रखने वाले लाल बहादुर शास्त्री भारतीय संस्कृति की श्रेष्ठ पहचान हैं। लाल बहादुर शास्त्री जी ऐसे प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने देश को जय जवान, जय किसान का नारा दिया। इसे राष्ट्रीय नारा कहा जाता है, जो देश के जवान और किसान के श्रम को दर्शाता है।

लाल बहादुर शास्त्री के अनमोल विचार

-देश की तरक्की के लिए हमें आपस में लड़ने के बजाए
गरीबी, बीमारी और अज्ञानता से लड़ना होगा

-यदि कोई भी व्यक्ति हमारे देश में अछूत कहा जाता है तो
भारत का सिर शर्म से झुक जाएगा।

-हम खुद के लिए ही नहीं,
बल्कि पूरे विश्व की शांति, विकास और कल्याण में विश्वास रखते हैं।

-हमारी ताकत और मजबूती के लिए सबसे जरूरी काम है,
लोगों में एकता स्थापित करना।

-कानून का सम्मान किया जाना चाहिए ताकि
हमारे लोकतंत्र की बुनियादी संरचना बरकरार रहे
और हमारा लोकतंत्र भी मजबूत बने।

 


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