कतर में भारत के 8 पूर्व नौसैनिकों को मौत की सजा सुनाई गई है। मामला पिछले एक साल से चल रहा था लेकिन सजा का ऐलान इजरायल और हमास की लड़ाई के वक्त हुआ है। जिस तरह से सजा का ऐलान हुआ है उससे लगता है कि सजा जल्दबाजी में सुनाई गई है ।आधिकारिक तौर पर कतर सरकार की तरफ से कोई बयान नहीं आया। हालांकि कतर अब भी राजशाही है और वो किसी गणतंत्र की तरह से दुनिया में बयान जारी नहीं करता। सूत्रों की मानें तो 8 पूर्व नौसैनिकों पर जासूसी करने का आरोप है। इल्जाम लगा है कि कतर और इटली के एक पनडुब्बी प्रोजेक्ट की खुफिया जानकारी ये पूर्व नौसैनिक इजरायल की खुफिया एजेंसी मौसाद को भेज रहे थे। ये इल्जाम बिल्कुल मजाक जैसा लगता है क्योंकि इजरायल की एजेंसी मौसाद की पकड़ ज्यादातर अरब देशों में है और कतर भी उससे अछूता नहीं है। वहां पर भी मौसाद के कई एजेंट काम करते हैं, जिस टैक्नोलॉजी की खुफिया जानकारी लीक करने की बात सामने आ रही है वो पहले से ही इजरायल के पास मौजूद है। ऐसे में इजरायल कतर की जासूसी क्यों कराएगा और कराएगा भी तो उसमें भारतीयों के बजाय कतर के ही लोगों का इस्तेमाल करेगा। क्या वाकई में जासूसी के आरोप में पकड़े गए नौसैनिकों को सजा हो जाएगी। इसमें भारत के पास कई ऑप्शन मौजूद हैं।
पहला ऑप्शन तो कूटनीति के स्तर पर इस मामले को सुलझाने का है जो बहुत हद तक बिल्कुल सही तरीका है और इससे मामले के सुलझने की उम्मीद भी काफी है. कूटनीति स्तर पर इस मामले को पीएमओ में तैनात वरिष्ठ अधिकारी दीपक मित्तल देख रहे हैं। दीपक मित्तल कतर में भारत के राजदूत रहे हैं और कुलभूषण जाधव के मामले में भी दीपक मित्तल ने INTERNATIONAL COURT OF JUSTICE में अहम भूमिका निभाई थी। दीपक मित्तल के कतर में वरिष्ठ पदों पर बैठे लोगों से अच्छे रिश्ते हैं और वो कतर के कानून को भी अच्छी तरह से समझते और जानते हैं. एक बात ये भी है कि भारत की 40 फीसदी गैस कतर से आती है और करीब 6-7 लाख भारतीय कतर में काम करते हैं. दोनों देशों के बीच राजनयिक रिश्ते हमेशा से अच्छे रहे हैं। ऐसे में कतर 8 पूर्व नौसैनिकों की सजा के मुद्दे पर इतना कुछ दांव पर नहीं लगा सकता। कूटनीति के माध्यम से इस मसले के सुलझने की काफी उम्मीद है. अगर ऐसा भी नहीं होता तो भारत कतर के अमीर यानि वहां के राजा से भी माफी के लिए कह सकता है। कतर का अमीर किसी को भी माफ करने की ताकत रखता है या फिर सजा कम करने की भी, जिस तरह से प्रधानमंत्री मोदी के कतर के राजा के साथ संबंध हैं उससे लगता है कि वो 8 पूर्व नौसैनिकों की सजा माफ कराने या फिर काफी कम कराने में कामयाब होंगे. ये स्थिति तब बन सकती है जब भारत और कतर कूटनीति के स्तर पर इस मामले को सुलझा नहीं पाएं. हालांकि ऐसा होने की उम्मीद कम है। अगर, कतर मौत की सजा को कम कर 8 पूर्व नौसैनिकों को जेल की सजा सुनाता है तो भी ये भारत के हक में जाएगा। दरअसल कतर और भारत के बीच समझौता है कि अगर किसी भारतीय नागरिक को कतर में जेल की सजा सुनाई जाती है तो वो उस सजा को कतर की बजाय भारत में काट सकता है। भारत के पास तीसरा विकल्प INTERNATIONAL COURT OF JUSTICE का है जहां पर भारत कतर की इस सजा के खिलाफ अपील कर सकता है, वैसे तो अभी इन पूर्व नौसैनिकों के पास कतर की ऊपरी अदालत में अपील करने का विकल्प है। संभव है कि इन्हें वहां से राहत मिल जाए।
अंतत: कतर की अदालत ने 8 पूर्व नौसैनिकों को मौत की सजा सुना जरुर दी है लेकिन ये सजा से ज्यादा हमास-इजरायल संघर्ष में भारत पर दबाव बनाने का कदम है। दरअसल भारत कह चुका है कि वो इजरायल के साथ खड़ा है जबकि कतर हमास की फंडिंग करने के लिए बदनाम रहा है। कतर चाहता है कि भारत इजरायल पर गाजा में बमबारी बंद करने का दबाव बनाए, हालांकि भारत पहले ही अपना रुख साफ कर चुका है कि वो किसी भी कीमत पर आतंकवाद का साथ नहीं देगा।