भारत के साथ मालदीव के रिश्तों में दरार आ रही है। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू का भारत विरोधी रवैया अब खुलकर सामने आ रहा है। चीन से दोस्ती में मुइज्जू इतने डूब गए कि वो भारत के एहसानों को भूल गए गए हैं। जिस भारत के बल पर मालदीव की इकोनॉमी चलती है।आज वो चीन के कर्ज के दम पर भारत को आंख दिखा रहा है। आखिर किसके बल पर ? लक्षद्वीप विवाद के बाद भारतीय पर्यटकों ने मालदीव का बहिष्कार करना शुरू कर दिया है।
भारतीय टूरिस्ट के कारण मालदीव की इकोनॉमी में बूस्ट होती रही है। लेकिन विवाद के बाद से वहां जाने वाले भारतीय पर्यटकों की संख्या में बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है। भारतीय पर्यटकों की संख्या के काम होने का मतलब है सीधे-सीधे अर्थव्यवस्था पर असर पड़ना। मालदीव सरकार की कुल कमाई का एक बड़ा हिस्सा भारतीय टूरिस्टों द्वारा किए गए खर्चों से आता है। सूत्कीरों की मानें तो विवाद के बाद से मालदीव को रोजाना 9 करोड़ के करीब का नुकसान हो रहा है। जब से ये विवाद शुरू हुआ तब से अब तक मालदीव को करोड़ों का नुकसान हो चुका है।
विवाद के बाद होटल और रिसॉर्ट मालिकों से रूम्स का किराया आधा कर दिया है, इसके बावजूद भी भारतीय टूरिस्ट अपनी बुकिंग कैसिल कर रहे हैं। जीडीपी का करीब 28% हिस्सा पर्यटन पर निर्भर करता है। फॉरेन एक्सचेंज में इसकी हिस्सेदारी लगभग 60 फीसदी की है। वहीं मालदीव आने वाले पर्यटकों में भारतीय सबसे आगे है। साल 2023 में 209198 भारतीय मालदीव पहुंचे. साल 2022 में 240000 इंडियन टूरिस्ट पहुंचे थे।
सिर्फ पर्यटक ही नहीं मालदीव की भारत पर निर्भरता खाने-पीने से लेकर इंजीनियरिंग गुड्स, औद्योगिक उत्पाद के लिए भी है. मालदीव भारत से स्क्रैप मेटल, इंजीनियरिंग गुड्स, औद्योगिक उत्पाद जैसे फार्मास्यूटिकल्स, रडार उपकरण, रॉक बोल्डर और सीमेंट के अलावा चावल, आटा, मसाले, फल-सब्जियां, चीनी, पोल्ट्री प्रोडक्ट खरीदता है. सितंबर 2023 तक दोनों देशों के बीच 416.06 मिलियन डॉलर का व्यापार हुआ, जिसमें मालदीव को निर्यात सबसे ज्यादा है