राजस्थान विधानसभा चुनाव का समीकरण अपनों के ही ताल ठोकने से बनेगा या बिगड़ेगा। आइए इसको सिलसिलेवार समझते हैं-
बीजेपी प्रत्याशी का सबसे ज्यादा विरोध प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी के गृह जिले में देखने को मिल रहा है। मौजूदा विधायक चंद्रभान सिंह आक्या का टिकट काट कर भैरोंसिंह शेखावत के दामाद नरपत सिंह राजवी को प्रत्याशी घोषित किया गया। अब इनका लगातार विरोध हो रहा है। चंद्रभान सिंह लगातार दो बार विधायक बनते आ रहे हैं। माहौल उनके पक्ष में है, लेकिन जयपुर की विद्याधर नगर से टिकट काटने के बाद नरपत सिंह राजवी को एडजस्ट करने के लिए चित्तौड़गढ़ से प्रत्याशी बना दिया गया। चंद्रभान सिंह आक्या ने प्रत्याशी बदलने की मांग की, लेकिन पार्टी प्रत्याशी बदलने के मूड में नहीं है। अब आक्या ने ऐलान कर दिया कि वे 100 फीसदी चुनाव लड़ेंगे। अगर आक्या नामांकन दाखिल करते हैं तो राजवी की मुश्किलें बढ जाएंगी।
सांचौर में बीजेपी ने मौजूदा सांसद देवजी पटेल को चुनाव मैदान में उतारा है। देवजी पटेल का पूर्व विधायक जीवाराम चौधरी और दानाराम चौधरी जमकर विरोध कर रहे हैं। दोनों ही चौधरी दावेदार थे, लेकिन देवजी पटेल को प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद दोनों चौधरी एक हो गए। उन्होंने कहा कि उन दोनों में से एक को प्रत्याशी घोषित किया जाए। ऐसा नहीं होने पर दोनों में से एक चौधरी चुनाव मैदान में उतरेंगे। ऐसा होता है कि देवजी पटेल की जीत संकट में पड़ सकती है।
अजमेर उत्तर से बीजेपी ने चार बार के विधायक रहे वासुदेव देवनानी को फिर से प्रत्याशी घोषित किया है। इस पर पिछले कई सालों से पार्टी में सक्रिय पार्षद ज्ञान सारस्वत ने चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। सारस्वत का कहना है कि देवनानी का व्यक्तिगत विरोध नहीं है, लेकिन क्षेत्र के हजारों कार्यकर्ताओं की मांग थी कि चेहरा बदला जाए। ऐसा नहीं करके पार्टी हाईकमान ने कार्यकर्ताओं की भावनाओं की उपेक्षा की है।
मनोहरथाना से बीजेपी ने गोविंद रानीपुरिया को प्रत्याशी घोषित किया है। क्षेत्र में लगातार सक्रिय रहने वाले रोशन सिंह तंवर और उनके समर्थकों ने पार्टी के इस फैसले का भारी विरोध किया है। रोशन सिंह तंवर ने चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने कहा कि बातचीत करने का समय अब निकल चुका है। वे चुनाव में उतरेंगे और रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज करेंगे।
मनोहरथाना से बीजेपी ने गोविंद रानीपुरिया को प्रत्याशी घोषित किया है। क्षेत्र में लगातार सक्रिय रहने वाले रोशन सिंह तंवर और उनके समर्थकों ने पार्टी के इस फैसले का भारी विरोध किया है। रोशन सिंह तंवर ने चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। उनका मानना है कि बातचीत करने का समय अब नहीं रहा। अब मैदान में अपना दम खम दिखाने की बारी है।