पंजाब के मोहाली जिले के पीर मुछल्ला इलाके में पंचकूला के एक ग्रुप की तरफ से ऑल वुमेन महिला रामलीला का मंचन किया जाएगा। भारत में इसे अपनी तरह की पहली रामलीला माना जा रहा है। पारंपरिक रामलीला के इस अनूठे एडीशन का मकसद रूढ़िवादिता को तोड़ना है। साथ ही उन लोगों को भी चुनौती देना है जो ये मानते हैं कि रामलीला में सिर्फ पुरूष ही परफॉर्म कर सकते हैं।
इस रामलीला का मकसद युवा पीढ़ी और सांस्कृतिक परंपराओं के बीच की खाई को पाटना भी है। इस प्रोडक्शन में शामिल महिला कलाकारों का मानना है कि आज के युवा टेक्नोलॉजी और मीडिया से बहुत जुड़े हुए हैं और सांस्कृतिक विरासत के महत्व को दर्शाना चाहते हैं।
सनातन जब बात हो और रामलीला की बात न हो सनातन अधूरा रह जाएगा हमारा मेन मैसेज हम आगे वाले पी़ढ़ी को हम अपने आप को जोड़ पाए क्योंकि वो मोबाइल की दुनिया में इतनी व्यस्त हो गए हैं कि उन्हें अपने माता – पिता के लिए भाई- बहन के लिए समय नही है और थोड़ा सा डिजिटल रामलीला है, बच्चे इससे कनेक्ट कर पाएंगे। पीछे पूरा आपके सीन चल रहा है वो नॉर्मल ऑर्थोडॉक्स रामलीला नही है अगर अशोक वाटिका में सीता जी बैठी हैं तो पीछे अशोक वाटिका दिख रहा है।
इस ऑल वुमेन रामलीला में आठ महीने से लेकर 70 साल तक की अलग-अलग आयु वर्ग की महिलाएं कई भूमिकाएं निभा रही हैं। इस सांस्कृतिक उत्सव में तीन पीढ़ियों को एक साथ परफॉर्म करता देखना खुशी की बात है।
महिलाओं ने बताया कि रामलीला में परफॉर्म करना वास्तव में मुश्किल है क्योंकि उन्हें संवाद याद रखने पड़ते हैं। उनके मुताबिक रामलीला में परफॉर्म करने के लिए 10 दिनों तक रिहर्सल करनी पड़ती है, हालांकि ये उनके अनुभव को बढ़ा रहा है।
इस महिला रामलीला में समाज के सभी वर्गों की महिलाएं परफॉर्म कर रही है और वे समाज में महिला सशक्तीकरण का संदेश दे रही हैं।