उत्तर प्रदेश सरकार ने एक आदेश जारी कर गौतमबुद्ध नगर प्रशासन को 2002 से सभी भूमि अभिलेखों को डिजिटल बनाने का निर्देश दिया है। अधिकारियों ने कहा कि इस कदम का उद्देश्य पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित करना है। क्योंकि पुराने दस्तावेजों की खोज करने में काफी समय लगता है। जिसके लिए इस तरह का फैसला लिया गया है ताकि समय की बर्बादी से बचा जा सके।
स्टांप एवं पंजीकरण महानिरीक्षक कंचन वर्मा ने जिला प्रशासन को निर्देश दिया है, कि वे उप पंजीयकों के साथ बैठक कर मंगलवार तक 13 लाख से अधिक भूमि अभिलेखों की स्कैनिंग और डिजिटलीकरण के लिए एक सुचारू, सुरक्षित और समयबद्ध योजना तैयार करें।
वर्मा ने अपने पत्र में लिखा है, कि सरकार ने 2002-2017 से भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण के लिए काम शुरू किया है। गौतम बुद्ध नगर की 13,08,449 भूमि रिकॉर्ड फाइलों को डिजिटलीकरण की आवश्यकता है। सरकार ने इस काम के लिए 51 कंप्यूटर, 17 स्कैनर और अन्य उपकरण भी स्वीकृत किए हैं। डिजिटलीकरण की प्रक्रिया भी CCTV कैमरों की आड़ में की जाएगी। अधिकारियों के अनुसार, परियोजना को पूरा करने के लिए कर्मचारियों को प्रतिदिन एक निश्चित संख्या में फाइलों को डिजिटाइज़ करने की समय सीमा भी दी जाएगी।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, जिले में सभी लंबित अदालती मामलों में भूमि संबंधी विवाद दो-तिहाई हैं। इन भूमि विवादों में वे शामिल हैं। जो भूमि के शीर्षकों और अभिलेखों की वैधता और सही स्वामित्व से संबंधित हैं। अभिलेखों के डिजिटलीकरण से निवासियों को मदद मिलेगी। क्योंकि नुकसान या चोरी के मामले में और अदालतों में भी संपत्ति के दस्तावेजों की प्रमाणित प्रतियों की आवश्यकता होती है।
संपत्तियों की खरीद-फरोख्त के वकील पीपीएस नागर ने कहा, ‘जमीन के रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण से लोगों को काफी मदद मिलेगी। वर्तमान में, नोएडा रजिस्ट्रार का कार्यालय आंशिक रूप से डिजीटल है। हम हाल के वर्षों में पंजीकृत दस्तावेजों की प्रमाणित प्रति आसानी से मिल जाती है, लेकिन पुराने दस्तावेजों की प्रति को हासिल करना बहुत ही मुशिक्ल काम है।
नोएडा के स्टांप एवं निबंधन विभाग के प्रभारी श्याम सिंह बिसेन ने कहा कि एक साल में डिजिटलीकरण का काम पूरा कर लिया जाएगा। “हम डिजिटलीकरण कार्यों के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित कर रहे हैं। स्टाम्प और पंजीकरण विभाग 2011 से डिजिटल दस्तावेज रख रहा है, जबकि इससे पहले पंजीकृत दस्तावेजों को डिजिटलीकरण की आवश्यकता होती है।
नोएडा के स्टांप और पंजीकरण विभाग ने पिछले 6 वर्षों में वार्षिक लक्ष्यों को पूरा नहीं किया है। 2016-17 में, इसने 2,222 करोड़ रुपये के लक्ष्य के मुकाबले 1,761 करोड़ रुपये इक्ट्ठा किए, 2017-18 में, इसने 2,252 करोड़ रुपये के मुकाबले 1,685 करोड़ रुपये इक्ट्ठा किए और 2018-19 में, संग्रह 2,532 करोड़ रुपये के मुकाबले 1,879 करोड़ रुपये था।
इसी तरह, विभाग ने 2019-20 में 2,597 करोड़ रुपये के मुकाबले 1,856 करोड़ रुपये का राजस्व इक्ट्ठा किया। कोरोना काल के प्रकोप के चलते 2020-21 में इसका राजस्व तेजी से प्रभावित हुआ। जब इसने 3,148 करोड़ रुपये के मुकाबले 1,593 करोड़ रुपये दर्ज किया।
2021-22 में, पंजीकरण में सुधार हुआ और राजस्व संग्रह 3,463 करोड़ रुपये सालाना लक्ष्य के मुकाबले 2,377 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। विभाग ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में 4062 करोड़ रुपये के सालाना लक्ष्य के मुकाबले नवंबर 2022 तक 1887 करोड़ रुपये का राजस्व दर्ज किया।