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निपाह वायरस ने फैलाई केरल में दहशत, स्कूल-कॉलेज बंद


केरल में निपाह वायरस के कारण दहशत का आलम है। इस वायरस के फैलने से राज्य के सारे स्कूल कालेज कोझीकोडे में बंद कर दिए गए हैं। यह वायरस कई देशों में अपना प्रकोप फैला रहा है। पहली बार इसकी पहचान साल 1999 में की गई थी। अब तक पांच देश इस वायरस की चपेट में आ चुके हैं। भारत ने ऑस्ट्रेलिया से मंगवाई एंटीबॉडी मंगवाई है।

इन दिनों केरल में निपाह वायरस जो बांग्लादेश वेरियंट के कारण हाहाकार मच गया है। इसके इतिहास पर नजर डालें तो यह वायरस 2018 के बाद से केरल में चौथी बार सामने आया है। इसके चलते कोझिकोड जिले में स्‍कूल और कॉ‍लेजों को 24 सितंबर तक के लिए बंद कर दिया गया है। वहीं ICMR ने भी इसको लेकर अलर्ट जारी किया है। कोझिकोड जिले में 39 साल के एक और शख्स के निपाह वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है। यह केरल में छठा मरीज है। सभी सबसे पहले मरीज के संपर्क में आए थे। जिसकी 30 अगस्त को इन्फेक्शन से मौत हो गई थी। एक्टिव मरीजों की संख्या बढ़ने के कारण राज्य सरकार ने उन सभी लोगों की जांच का फैसला किया, जो संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए हैं। ICMR के डीजी राजीव बहल ने कहा कि हम नहीं जानते कि केरल में मामले क्यों सामने आ रहे हैं। बरसात के मौसम में ऐसा हमेशा होता है। 2018 में हमने पाया कि केरल में इसका प्रकोप चमगादड़ों से जुड़ा था। लेकिन संक्रमण चमगादड़ों से इंसानों में कैसे पहुंचा यह कड़ी स्थापित नहीं हो सकी। इस बार हम फिर पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। ICMR के डीजी ने बताया कि इलाज के लिए ऑस्ट्रेलिया से मोनोक्लोनल एंटीबॉडी की 20 और खुराक खरीदने की प्लानिंग है। जिससे इस वायरस को फैलने से रोका जा सके और लोगों की जान बच सके। वहीं केरल में संक्रमितों के मामले बढ़ने पर कर्नाटक सरकार ने चौकसी बढ़ा दी है। कर्नाटक सरकार ने लोगों से प्रभावित जिलों की यात्रा से बचने को कहा है। साथ ही सीमावर्ती जिलों में बुखार की निगरानी तेज करने के निर्देश दिए हैं।

 

निपाह वायरस जानवरों से इंसानों में होने वाली बीमारी है, जिसे ज़ूनोटिक डिज़ीज़ (Zoonotic Disease) कहा जाता है। ये चमगादड़ों और सुअर के जरिए इंसानों में फैल सकता है। भारत में ये पहली बार साल 2018 में सामने आया था। उस समय 23 लोग इससे संक्रमित हुए थे, जिसमें से 21 की मौत हो गई थी। 2019 और 2021 में निपाह का हल्का प्रकोप दिखा था, जिसमें दो लोगों की मौत की घटना सामने आई थी। भारत के अलावा ये वायरस मलेशिया, सिंगापुर, बांग्लादेश, फिलीपींस में –

– सिरदर्द
– बुखार
– सांस लेने में परेशानी
– खांसी, खराब गला
– दस्त, उल्टी
– शरीर में दर्द
– कमजोरी बढ़ना

 

कहां से आया ये वायरस

WHO के मुताबिक 1998 में मलेशिया में इसका पहला केस मिला था। मलेशिया में इस वायरस को निपाह नाम मिला। इस बीमारी की चपेट में सुअर आते थे। साल 2004 में बांग्लादेश में निपाह वायरस के मरीज मिले. बांग्लादेश में वायरस चमगादड़ों के जरिए फैलता है।

क्‍यों चिंता बढ़ा रहा है निपाह वायरस

निपाह वायरस पर ICMR ने भी अलर्ट जारी किया है और इसे कोविड की तुलना में ज्यादा घातक बताया है. कोविड में मृत्यु दर 2-3%, जबकि निपाह वायरस में मृत्यु दर 40-75% है. चिंता की बात ये है कि संक्रमण के 75% मामले गंभीर हैं और निपाह का ट्रीटमेंट या वैक्सीन नहीं है।

स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री का क्‍या है कहना

इस मामले में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया का कहना है कि निपाह वायरस कोरोना वायरस से थोड़ा अलग है. निपाह वायरस इतनी तेजी से नहीं फैलता है. ये फल खाने वाले चमगादड़ों से फैलता है. भारत में वर्ल्ड क्लास वायरोलॉजी लैब मौजूद है। पुणे में NiV टेस्टिंग की जा रही है।

सरकार की क्‍या है तैयारी

सरकार ने मोनोक्लोनल एंटीबॉडी की 20 डोज और मंगवाई है. वैक्सीन की डोज संक्रमण के शुरुआती समय में दी जाती है. मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कितनी सटीक इसका परीक्षण जारी है.

निपाह वायरस से कैसे बचें?

सरकार ने मोनोक्लोनल एंटीबॉडी की 20 डोज और मंगवाई है. वैक्सीन की डोज संक्रमण के शुरुआती समय में दी जाती है। मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कितनी सटीक इसका परीक्षण जारी है।

निपाह वायरस से कैसे बचें?

·      बार बार हाथ धोएं
·      सैनीटाइजर का यूज करें
·      मरीज के संपर्क में आने पर जांच कराएं
·       मास्क पहनें
·       इम्यून सिस्टम को स्ट्रांग बनाएं

 


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