इज़रायल हमास युद्ध को छिड़े 14 दिन पूरे हो चुके हैं। पूरी दुनिया इस वक्त विश्व युद्ध के मुहाने पर खड़ी है। वर्ल्ड वॉर-3 की आहट को अब कोई मना नहीं कर सकता। कोई मुस्लिम देशों को मसीहा बनना चाहता है तो कोई पूरी दुनिया पर फतह करना चाहता है। इन सब के बीच इंसानी जान की कोई कीमत नहीं. ये हमने रूस-यूक्रेन वॉर के वक्त भी देखा था। अब इज़रायल-फिलिस्तीन में भी वही नज़ारा है। वर्ल्ड के टॉप देशों में टेंशन है। कब महायुद्ध शुरू हो जाए किसी तो पता नहीं। कुछ देश शांति की अपील कर रहे हैं तो वहीं युद्ध को हवा देने वालों की भी कमी नहीं है। पहले दिन से इज़रायल के खिलाफ इरान ज़हर उगल रहा है तो वहीं सुपरपॉवर अमेरिका खुलकर इज़रायल के समर्थन में खड़ा है। अब अगर अमेरिका इज़रायल के साथ खड़ा है तो दशकों से उसका कट्टर दुश्मन रूस, इरान का ही साथ देगा। अब इरान का साथ देने के लिए दुनिया की एक और लाल ताकत इस महायुद्ध में कूद चुकी है जिसका नाम है चीन।
चीन ने इज़रायल को चेतावनी दी है कि वो गाज़ा में तुरंत अपने हमलों को रोके वर्ना अंजाम अच्छा नहीं होगा। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने इज़रायल को धमकाते हुए कहा है कि इज़रायल को अब गाज़ा के लोगों को सामूहिक सज़ा देना बंद करना चाहिए। अब देखा जाए तो दुनिया लगातार रूस औऱ अमेरिका की अगुवाई में दो हिस्सों में बंटती हुई दिख रही है। एक तरफ रूस के नेतृत्व में वो देश हैं जिनका कहना है कि अब इज़रायल को गाज़ा पट्टी पर हमले बंद कर देने चाहिए। वहीं दूसरी तरफ अमेरिका के नेतृत्व में भारत समेत यूरोप के कई देश हैं जो ये मानते हैं कि हमास एक खूंखार आतंकवादी संगठन है औऱ उसे उसकी करतूतों की सज़ा देना ज़रूरी है जो रूस का अधिकार है।
यूरोपियन यूनियन की प्रेसिडेंट उर्सूला वॉन ने भी इज़रायल के प्रधानमंत्री नेतनयाहू से मुलाकात करते हुए युद्ध को लेकर उनसे काफी अहम बातचीत की है। यूरोपियन यूनियन की प्रेसिडेंट ने माना कि हमास इज़रायली यहूदियों को खत्म करना चाहता है। इसलिए अपनी जनता की रक्षा करने के लिए हमास को खत्म करना ना सिर्फ इज़रायल का कर्तव्य है बल्कि उसका अधिकार भी है। वहीं इज़रायल हमास के बीच बढ़ती जा रही हिंसा से अब पड़ोसी मुल्क जॉर्डन की चिंता भी बढ़ गई है. उनको डर है कि अगर ये युद्ध बढ़ते हुए फिलिस्तीन के दूसरे हिस्से वेस्ट बैंक तक पहुंच गया तो इससे जॉर्डन की मुश्किलें भी बढ़ सकती हैं। इसकी वजह भी समझनी ज़रूरी है।
दरअसल इन दोनों देशों के इस भीषण संग्राम के बीच जॉर्डन को अपने देश में जनसंख्या असंतुलन का डर सताने लगा है. क्योंकि जब-जब इज़रायल फिलिस्तीन के बीच युद्ध हुआ है तब-तब फिलिस्तीन के नागरिक अपनी जान बचाने के लिए जॉर्डन में चले गए और वहां से नहीं लौटे। अगर इस बार भी ऐसा हुआ तो जॉर्डन की जनसंख्या का असंतुलन और बढ़ सकता है जो कि जॉर्डन की इकोनॉमी के लिए बड़े खतरे जैसा है।
एक तरफ इरान रूस और चीन जैसे देश हैं जो फिलिस्तीन के बचाव के बहाने दुनिया को तृतीय विश्व युद्ध में झोंकना चाहते हैं तो वहीं दूसरी तरफ अमेरिका है जो शांति की अपील कर रहा है. हालात की गंभीरता को देखते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री अंटनी ब्लिंकन पश्चिमी एशिया के तूफानी दौरे कर रहे हैं और ये कोशिश कर रहे हैं कि किसी तरह से ये इस युद्ध को फैलने से रोका जाए. उनके इन दौरों से एक फायदा ये हुआ है कि अब मिस्र यानि इजिप्ट गाज़ा में फंसे विदेशी नागरिकों को सेफ पैसेज देने के लिए अपनी सीमाएं खोलने के लिए तैयार हो गया है. गाज़ा की एक सीमा इजिप्ट के एक हिस्से से मिलती है जो अभी तक बंद थी. लेकिन ब्लिंकन के प्रयासों के बाद अब इजिप्ट इसे खोलने के लिए तैयार हो गया है।
विश्व युद्ध होगा या नहीं ?
इज़रायल औऱ हमास के बीच के टकराव ने पूरी दुनिया को वर्ल्ड वॉर-3 के मुहाने पर लाकर खड़ा कर दिया है। जिसमें दुनिया के सारे देश दो भागों में बंट चुके हैं। एक हिस्सा इज़रायल के साथ है तो दूसरा फिलिस्तीन के साथ। इन हालातों को देखते हुए विदेशी मामलों के जानकारों का कहना है कि मामला 50-50 का है। इसका मतलब वर्ल्ड वॉर-3 हो भी सकता है औऱ नहीं भी। विशेषज्ञों की मानें तो अगर ये लड़ाई वर्ल्ड वॉर-3 में तब्दील होती है तो कई और जगहों पर कुछ देशों के बीच छोटी-छोटी झड़पों से इसकी शुरुआत होगी है। जो आगे चलकर बड़े और विनाशकारी युद्ध की शक्ल इख्तियार कर सकती है। वहीं कुछ जानकारों का कहना है कि इन दोनों देशों के बीच हिंसा बंद नहीं हुई तो जल्द इरान और इज़रायल के बीच सीधे टकराव शुरू हो सकता है। जिसके बाद बाकि देशों को चाहे-अनचाहे युद्ध में कूदना ही पड़ेगा। इससे ज़ाहिर तौर पर दुनिया की अर्थव्यवस्था पर भी बुरा असर पड़ेगा।