‘हरदीप सिंह निज्जर’ खालिस्तानी आतंकी की हत्या के मामले में के संबंधों में तनाव दिन पर दिन बढ़ता ही जा रहा है। भारत सरकार ने निज्जर की आतंकी गतिविधियों के संबंध में समय-समय पर कनाडा प्रशासन को सूचित करता रहा पर किसी विदेशी मुल्क में उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई। नवंबर 2014 में उसके खिलाफ इंटरपोल रेड कॉर्नर नोटिस (आरसीएन) जारी किया गया। लेकिन कनाडा सरकार शांत बैठी रही। निज्जर, पाकिस्तानी आईएसआई का चहेता रहा है। उसकी मदद से निज्जर ने पाकिस्तान का दौरा किया। वहां पर बीकेआई प्रमुख जगतार सिंह तारा के सहयोग से उसने हथियार चलाने और आईईडी तैयार करने की ट्रेनिंग ली। पर, निज्जर के जीवन में एक मोड़ तब आया जब वो खालिस्तान समर्थक गतिविधियों में शामिल हुआ। उसके बाद उसका जीवन पूरी तरह से बदल गया। उसकी पास बेहिसाब प्रॉपर्टी में दिन दुना रात चौगुना बढ़ोत्तरी होती चली गई और वो एक मामूली प्लंबर से रईस बन बैठा।
निज्जर का परिचय
हरदीप सिंह निज्जर खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ) का प्रमुख था। इसी संगठन ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या की थी। निज्जर मूल रूप से भारत का ही रहने वाला था। वह पंजाब के जालंधर जिले के शाहकोट के नजदीकी गांव भारसिंहपुर का था। खुफिया एजेंसियों के सूत्रों के हवाले से बड़ी खबर सामने निकल कर आ रही है कि निज्जर डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत सिंह राम रहीम की हत्या की फिराक में भी था। उसने 2014 में राम रहीम पर हमले की योजना बनाई थी। पर वीज़ा न मिल पाने के कारण वह अपने मकसद में सफल नहीं पाया था। भारतीय जांच एजेंसी एनआईए द्वारा जारी की गई 40 आतंकियों की लिस्ट में भी निज्जर का नाम भी शामिल था।
भारतीय पुलिस का भय
निज्जर ने वीजा की औपचारिकताएं पूरी करने के दौरान यह दावा किया था कि उसे भारत में उत्पीड़न का डर है, इसलिए वो कनाडा में शरण लेना चाहता है। हरदीप सिंह निज्जर 1997 में ‘रवि शर्मा’ उपनाम से नकली पासपोर्ट का उपयोग करके कनाडा आया था। उसने एक महिला के साथ ‘विवाह’ समझौता कर कनाडा जाने का प्लान किया। लेकिन यहां पर भी उसका आवेदन अधिकारियों द्वारा खारिज कर दिया गया। कारण, उसने अपने आवेदन में जिस महिला के नाम का जिक्र किया था, वह खुद 1997 में एक अलग पति के प्रायोजन पर कनाडा पहुंच चुकी थी। जिससे उसके मनसूबों पर पर एकबार पानी फिर गया।
रेड कॉर्नर नोटिस
एक महिला के साथ मैरिज कान्ट्रैक्ट के माध्यम से कनाडा पहुंचने का उसका प्लान जब फेल हो गया तो उसने कनाडा की अदालतों में अपील की। हालांकि इस बीच वह खुद को कनाडाई नागरिक होने का दावा करता रहा। बाद में किन परिस्थितियों के चलते निज्जर को कनाडाई नागरिकता प्रदान की गई, इसका जिक्र ठीक से नहीं है। फिर, नवंबर 2014 में उसके खिलाफ इंटरपोल रेड कॉर्नर नोटिस (आरसीएन) जारी किया गया था। निज्जर के खिलाफ भारत में हत्या और अन्य आतंकवादी गतिविधियों के एक दर्जन से अधिक आपराधिक मामले दर्ज थे। सभी मामलों का विवरण, कनाडाई सरकार के अधिकारियों के साथ साझा किया गया। भारत सरकार की तरफ से निज्जर के खिलाफ पुख्ता सबूत सौंपे गए। जब उसके खिलाफ दर्ज मामलों की संख्या बढ़ने लगी तो कनाडाई अधिकारियों ने उसे नो-फ्लाई सूची में डालने के अलावा और कोई कार्रवाई नहीं की। निज्जर के खिलाफ ‘आरसीएन’ पहले ही जारी हो चुका था। इसके बावजूद भी निज्जर के खिलाफ कनाडा सरकार का सॉफ्ट कार्नर ही देखने को मिला। 1990 के दशक की शुरुआत में गुरदीप सिंह के खिलाफ हत्याओं के 200 से अधिक मामले बताए जाते हैं। पुलिस से जान का खतरा बताकर निज्जर 1996 में कनाडा भाग गया था। 2012 में, निज्जर ने पाकिस्तान का दौरा किया। वह बीकेआई प्रमुख जगतार सिंह तारा के संपर्क में आया। तारा ने 2012 में निज्जर को हथियार और आईईडी का प्रशिक्षण दिया। इसके एक साल बाद उसने निज्जर को हैंड-हेल्ड जीपीएस डिवाइस चलाने का प्रशिक्षण देने के लिए अमेरिका स्थित हरजोत सिंह बिरिंग को कनाडा भेजा। इसके लिए निज्जर ने जगतार सिंह तारा को एक मिलियन पाकिस्तानी मुद्रा भेजी थी। NIA ने निज्जर के खिलाफ कई केस दर्ज किए थे. क्योंकि निज्जर पंजाब में 200 से ज्यादा हत्याओं में शामिल था। ऐसा माना जाता है कि निज्जर पंजाब में टारगेट किलिंग कराता था। अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और कनाडा में भारत के खिलाफ होने वाले प्रदर्शनों में भी उसका हाथ माना जाता रहा है।
ट्रूडो का नया दांव
ट्रूडो ने शुक्रवार को कहा, कनाडा ने कुछ सप्ताह पहले ही नई दिल्ली के साथ इस बात के सबूत साझा किए हैं कि ब्रिटिश कोलंबिया में खालिस्तानी आतंकवादी की हत्या में भारत के एजेंट संभावित रूप से शामिल थे। ट्रूडो ने बताया कि कई सप्ताह पहले ही भारत के साथ हमने खुफिया इनपुट साझा किए थे। कनाडाई पीएम ट्रूडो ने कहा -हम भारत के साथ रचनात्मक रूप से काम करना चाहते हैं। हमें उम्मीद है कि वे हमारा सहयोग करेंगे, ताकि कनाडा सरकार, इस बेहद गंभीर मामले की तह तक पहुंच सकें। दूसरी तरफ भारत-कनाडा विवाद पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को एक प्रेस कांफ्रेस में कहा था, कनाडा सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई किसी भी विशिष्ट जानकारी पर हम गौर करने के लिए तैयार हैं। लेकिन, अभी तक हमें कनाडा से कोई विशेष और पुख्ता जानकारी नहीं मिली है। जबकि भारत ने कनाडा सरकार को वहां पर भारत के खिलाफ हो रही आतंकी गतिविधियों को लेकर विशिष्ट सबूत साझा किए गए हैं। कनाडा सरकार ने उन पर कार्रवाई नहीं कर रही है। इससे पहले भी वहां मौजूद आतंकियों की सूची एवं सबूत सौंपे गए थे, मगर कनाडा सरकार मौन रही और कोई ठोस कदम नहीं उठाई। दोनों देशों के बीच रिश्ते और तल्ख़ हो रहे हैं। जिसे सुलझाना भविष्य की दृष्टि से बहुत जरुरी है।