श्रेष्ठ भारत (Shresth Bharat) | Hindi News

Our sites:

|

Follow us on

|

नवरात्रि के छठे दिन की जाती है ”मां कात्यायनी” की अराधना


नवरात्रि  के पावन दिन चल रहे है। नवरात्रि के नौ दिन दुर्गा मां के नौ स्वरूपों की उपासना की जाती है। नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की अराधना की जाती है। मां कात्यायनी को देवी दुर्गा का छठा रूप माना गया है। देवी दुर्गा के इस रूप को लेकर कहा जाता है कि जो भी भक्त  नवरात्रि के छठे दिन मां की सच्चे मन से विधि-विधान के साथ आराधना करता है। मां स्वयं उस भक्त के सभी रोग-दोष दूर कर उसे सुख-समृद्धि प्रदान करती हैं।

ऐसा है मां कात्यायनी का स्वरूप

मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत निराला है इनकी चार भुजाएँ हैं। माताजी का दाहिनी तरफ का ऊपरवाला हाथ अभयमुद्रा में तथा नीचे वाला वरमुद्रा में है। बाईं तरफ के ऊपरवाले हाथ में तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल-पुष्प सुशोभित है। इनका वाहन सिंह है। ये ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं।

मां कात्यायनी के पूजन का महत्व

माँ कात्यायनी की भक्ति और उपासना द्वारा मनुष्य को बड़ी सरलता से अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति हो जाती है। वह इस लोक में स्थित रहकर भी अलौकिक तेज और प्रभाव से युक्त हो जाता है। गोपियों ने कृष्ण की प्राप्ति के लिए मां कात्यायनी की पूजा की थी। विवाह संबंधी मामलों के लिए इनकी पूजा अचूक होती है, योग्य और मनचाहा पति इनकी कृपा से प्राप्त होता है।

मां कात्यायनी की पूजन विधि

मां कात्यायनी को पीला रंग अति प्रिय है। देवी कात्यायनी के पूजन में पीले रंग की वस्तुओं का प्रयोग करना चाहिए। मां कात्यायनी की पूजा से पहले कलश देवता अर्थात भगवान गणेश का विधिवत तरीके से पूजन करें। भगवान गणेश को फूल, अक्षत, रोली, चंदन अर्पित कर उन्हें दूध, दही, शर्करा, घृत व मधु से स्नान कराए। देवी को अर्पित किए जाने वाले प्रसाद को पहले भगवान गणेश को भी भोग लगाएं। प्रसाद के पश्चात आचमन और फिर पान, सुपारी भेंट करें। फिर मां कात्यायनी का पूजन शुरू करें। इसके लिए सबसे पहले अपने हाथ में एक फूल लेकर मां कात्यायनी का ध्यान करें। इसके बाद मां कात्यायनी का पंचोपचार पूजन कर, उन्हें लाल फूल, अक्षत, कुमकुम और सिंदूर अर्पित करें। इसके बाद उनके समक्ष घी अथवा कपूर जलाकर आरती करें। अंत में मां के मन्त्रों का उच्चारण करें।

मां कात्यायनी की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार महर्षि कात्यायन ने संतान प्राप्ति के लिए मां भगवती की कठोर तपस्या की। महर्षि कात्यायन की कठोर तपस्या से मां भगवती प्रसन्न हुई और उन्हें साक्षात दर्शन दिए। कात्यायन ऋषि ने मां के सामने अपनी इच्छा प्रकट की, इसपर मां भगवती ने उन्हें वचन दिया कि वह उनके घर उनकी पुत्री के रूप में जन्म लेंगी। एक बार महिषासुर नाम के एक दैत्य का अत्याचार प्रितिदिन तीनों लोकों पर बढ़ता ही जा रहा था। इससे सभी देवी-देवता परेशान हो गए। तब त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु और महेश अर्थात भगवान शिव के तेज से देवी को उत्पन्न किया जिन्होने महर्षि कात्यायन के घर जन्म लिया। महर्षि कात्यायन के घर जन्म लेने के कारण उन्हें कात्यायनी नाम दिया गया। माता रानी के घर में पुत्री के रूप में जन्म लेने के बाद ऋषि कात्यायन ने सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथि पर मां कात्यायनी की विधि-विधान पूर्वक पूजा-अर्चना की। इसके बाद मां कात्यायनी ने दशमी के दिन महिषासुर दानव का वध किया और तीनों लोकों को उसके अत्याचार से मुक्ति दिलाई।

 


संबंधित खबरें

वीडियो

Latest Hindi NEWS

Delhi Assembly session 2025
अरविंदर सिंह लवली बने प्रोटेम स्पीकर, एलजी वीके सक्सेना ने दिलाई शपथ
rekha gupta (1)
दिल्ली विधानसभा का पहला सत्र आज से शुरू, CM रेखा गुप्ता करेंगी CAG रिपोर्ट पेश
PM Kisan 19th Installment
PM नरेंद्र मोदी आज भागलपुर में किसान सम्मान निधि की 19वीं किस्त करेंगे जारी
Patna Road Accident
पटना के मसौढ़ी में भीषण सड़क हादसा, 7 लोगों की मौत; कई घायल
pm modi (2)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भोपाल में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का करेंगे शुभारंभ
atishi
आतिशी बनी दिल्ली विधानसभा की नेता विपक्ष, AAP के विधायक दल ने किया समर्थन