बीते कुछ दिनों से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के हाल वायु प्रदुषण के कारण गंभीर हैं। दिल्ली में वायु गुणवत्ता सुधरने का नाम नहीं ले रही है। सरकार द्वारा अनेक प्रयासों के बावजुद दिल्ली की वायु गुणवत्ता बहुत खराब श्रेणी में बनी हुई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में वायु गुणवत्ता गुरुवार को ‘बहुत खराब’ श्रेणी में बनी रही।
सीपीसीबी के अनुसार गुरुवार सुबह आईजीआई एयरपोर्ट पर AQI 334 पर, न्यू मोती बाग इलाके में AQI 343 पर और पंजाबी बाग में वायु AQI 405 पर ‘बहुत खराब’ श्रेणी में किया गया था। सीपीसीबी द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में AQI 345 , आरके पुरम में AQI 360 और आनंद विहार क्षेत्र में AQI 358 पर ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को फसल अवशेष जलाने को रोकने की आवश्यकता पर जोर दिया। जो दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु गुणवत्ता को प्रभावित करता है और राज्य सरकारों से प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए कदम उठाने को कहा।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा ”आइए हम कम से कम अगली सर्दियों को थोड़ा बेहतर बनाने का प्रयास करें।” न्यायमूर्ति कौल ने न्यायिक निगरानी की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि फसल जलाना रोकना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लोगों को हर सर्दियों में इसी तरह की स्थिति का सामना न करना पड़े।
शीर्ष अदालत ने कहा कि खेतों में आग अभी भी गंभीर है। शीर्ष अदालत दिल्ली-एनसीआर में सर्दियों के दौरान साल दर साल होने वाले वायु प्रदूषण के मुद्दे पर सुनवाई कर रही थी। पीठ ने इस बात पर ध्यान दिया कि केंद्रीय कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में समिति की कई बैठकें हुईं और इसने इस मुद्दे से निपटने के लिए पंजाब और हरियाणा सहित राज्यों के लिए एक कार्य योजना तैयार की है। पीठ ने संबंधित राज्यों से कार्य योजनाओं को लागू करने और दो महीने के भीतर शीर्ष अदालत के समक्ष प्रगति रिपोर्ट पेश करने को कहा। पीठ ने कहा ” इस मामले को निरंतर निगरानी की आवश्यकता है। होता यह है कि जब समस्या उत्पन्न होती है तो हम अचानक इसे उठा लेते हैं। अदालत को कुछ समय के लिए इसकी निगरानी करनी चाहिए।”
अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने खेत में आग रोकने के लिए उठाए जाने वाले कदमों के बारे में केंद्र की ओर से एक नोट भी प्रस्तुत किया और कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली समिति की बैठकों के मिनट भी पेश किए। अदालत ने कहा ”पंजाब को कुछ करना है, हरियाणा को कुछ करना है, दिल्ली को कुछ करना है और विभिन्न मंत्रालयों को कुछ करना है।” पिछली सुनवाई पर पंजाब सरकार ने एक हलफनामा भी दायर किया है जिसमें फसल अवशेष जलाने के लिए जिम्मेदार लोगों से पर्यावरण मुआवजे की वसूली के बारे में विवरण शामिल है।
पीठ ने कहा कि वसूल की गई राशि अभी भी लगाए गए जुर्माने का लगभग 53 प्रतिशत ही है। इसमें पूछा गया वसूली में तेजी लाई जानी चाहिए। पीठ ने अब मामले को 27 फरवरी को सुनवाई के लिए पोस्ट किया है। शीर्ष अदालत ने वायु प्रदूषण पर 1985 में दायर एक याचिका पर गौर किया और फसल अवशेष जलाने का जटिल मुद्दा उठा।