केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जे. पी. नड्डा ने 25 नवंबर को होने वाले राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सहित राजस्थान के पार्टी नेताओं के साथ मैराथन बैठक की।
करीब छह घंटे तक चली बैठक में वसुंधरा राजे के अलावा केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी, गजेंद्र सिंह शेखावत और अर्जुन राम मेघवाल के अलावा राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष सी. पी. जोशी भी शामिल हुए। जोशी राजस्थान के लिए भारतीय जनता पार्टी के चुनाव प्रभारी हैं।
बैठक के बाद जे. पी नड्डा और अमित शाह ने मध्य प्रदेश चुनाव को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर सहित राज्य के पार्टी नेताओं के साथ चर्चा की।
बीजेपी ने 200 सदस्यीय राजस्थान विधानसभा के चुनाव के लिए अब तक सात सांसदों सहित 41 उम्मीदवारों का ऐलान किया है। वहीं 230 सदस्यीय मध्य प्रदेश विधानसभा के लिए 17 नवंबर को होने वाले चुनाव के लिए तीन केंद्रीय मंत्रियों और चार और सांसदों सहित 136 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की गई है।
ऐसा माना जा रहा है कि बीजेपी राजस्थान में शेखावत और मेघवाल सहित कुछ और केंद्रीय मंत्रियों को भी मैदान में उतार सकती है।
राजस्थान में चुनाव टिकट के लिए नजरअंदाज किए गए और पार्टी कार्यकर्ताओं के एक गुट के असंतोष दिखाए जाने के बीच बीजेपी नेतृत्व ने तनाव कम करने के लिए कदम उठाए हैं। जे. पी नड्डा ने सोमवार को अपने दौरे के दौरान राज्य में बड़ी संख्या में बीजेपी पदाधिकारियों से मुलाकात की।
पार्टी की तरफ से मैदान में नहीं उतारे गए कुछ दावेदारों को वसुंधरा राजे का करीबी माना जा रहा है। इससे इन अटकलों को बल मिला है कि वसुंधरा नाराज हो सकती हैं। हालांकि अब तक खुलकर सार्वजनिक रूप से उनकी नाराजगी सामने नहीं आई है।
इससे पहले मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप सिंह के वंशज विश्वराज सिंह मेवाड़ और करणी सेना के संस्थापक लोकेंद्र सिंह कालवी के बेटे भवानी सिंह कालवी बीजेपी में शामिल हुए। इस मौके पर जोशी, मेघवाल, सांसद दीया सिंह, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह और मुख्य प्रवक्ता अनिल बलूनी मौजूद थे।
पांच बार के विधायक और पार्टी के दिग्गज नेता भैरों सिंह शेखावत के दामाद नरपत सिंह राजवी ने इस बार टिकट नहीं मिलने पर पार्टी नेतृत्व पर निशाना साधा था, जिसके बाद बीजेपी ने राजपूतों को भरोसा दिलाने की कोशिश की है।
बीजेपी, राजस्थान में मौजूदा कांग्रेस सरकार को हराने और मध्य प्रदेश में सत्ता बरकरार रखने की कोशिश कर रही है। एमपी में भी कांग्रेस के साथ उसका कड़ा मुकाबला दिख रहा है।