बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बदलती राजनीति के साथ हवा का रुख पहचान लेते हैं और हवा के साथ बह चलते हैं। इसी क्रम में नौंवी बार नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बन गए हैं। नीतीश कुमार के पाला बदलने और एनडीए में शामिल होने पर विपक्षी गठबंधन की पार्टियां खासी नाराज हैं। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवेसना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के एक लेख में नीतीश कुमार की तीखी आलोचना की है। सामना के लेख में लिखा गया है कि नीतीश कुमार ने ही भाजपा विरोधी ताकतों को इकट्ठा किया था और उन्होंने ही विपक्षी गठबंधन की पटना में पहली बैठक बुलाई थी।
सामना के लेख के में लिखा गया है कि ‘INDIA ब्लॉक के गठन के बाद, ऐसा लगता था कि नीतीश कुमार राष्ट्रीय नेतृत्व को लीड करेंगे। विपक्षी पार्टियों को भाजपा की तानाशाही के खिलाफ एकजुट होकर लड़ना चाहिए। इसके लिए नीतीश कुमार ने बीड़ा उठाया और सभी को साथ लेकर आए। पटना में भाजपा विरोधी ताकतों की पहली बैठक करायी। उस बैठक में नीतीश ने भाषण देते हुए कहा था कि देश खतरे में है, संविधान खतरे में है। केंद्रीय जांच एजेंसियों का गलत इस्तेमाल हो रहा है और देशहित में हमें अपने मतभेदों को भुलाकर लोकतंत्र की रक्षा के लिए एकजुट होना चाहिए। नीतीश ने पटना में बड़ी-बड़ी बातें कही थी। बाद में वे बेंगलुरु, मुंबई और दिल्ली की बैठकों में भी शामिल हुए। वह भाजपा के खिलाफ लड़ाई के लिए आखिरी वक्त तक समर्पित थे, लेकिन अब उनका समर्पण सबके सामने आ गया है।
नीतीश कुमार ने रविवार को बिहार सीएम पद से इस्तीफा देकर भाजपा के साथ गठबंधन कर फिर से सरकार बना ली। नीतीश के नेतृत्व में रविवार शाम पांच बजे ही नई सरकार ने शपथ भी ले ली। नई सरकार की कमान भी नीतीश कुमार संभालेंगे। वहीं भाजपा के खेमे से प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी और नेता प्रतिपक्ष रहे विजय सिन्हा को डिप्टी सीएम बनाया गया है। नई सरकार में तीन कैबिनेट मंत्री जदयू खेमे से और तीन मंत्री भाजपा खेमे से बने हैं। हम पार्टी से एक और एक निर्दलीय विधायक ने भी मंत्री पद की शपथ ली है।
अब सरकार में रहते हुए नई नई विपक्षी पार्टी बनी राजद के तेजस्वी और लालू प्रसाद को बड़ा झटका लगा है। अब फिर से तेजस्वी के बोल बिफर रहे हैं। बिहार की राजनीति में उलटफेर से देश की राजनीति पर भी बड़ा असर पड़ा है। लोकसभा का समीकरण इंडिया गठबंधन में अब क्या रुख लेगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा।