कुत्ते काटने की घटनाएं देश के कोने-कोने में होती है लेकिन दिल्ली-एनसीआर में ये समस्या बढ़ती जा रही है. यहां तक की कुत्तों की बढ़ती संख्या और उनके हिंसक होने का संज्ञान देश की सर्वोच्च अदालत ने भी लिया है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले एक वकील के हाथ में जब चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ं ने पट्टी देखी तो उसकी वजह पूछी. वकील ने बताया कि आवारा कुत्तों के एक झुंड ने उन पर हमला कर दिया था जिसकी वजह से उन्हें ये चोट लगी. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर चिंता जताई. हाल में ही गाजियाबाद में एक कुत्ते के काटने की वजह से एक बच्चे की मौत हो गई थी और ना जाने कितनी बार सीसीटीवी की ऐसी तस्वीरें सामने आ चुकी हैं जिसमें आवारा कुत्तों के झुंड ने बच्चे पर हमला कर उसे बुरी तरह से घायल कर दिया हो. दिल्ली-एनसीआर की सोसायटीज में तो ये समस्या बेहद आम है यहां पर अक्सर ऐसी तस्वीरें सामने आती हैं जब सोसायटी में घूम रहे किसी आवारा या पालतू कुत्ते ने बच्चे को काट लिया हो. आवारा कुत्तों को खाना खिलाने और पालतू कुत्ते को लेकर भी सोसायटीज में आए दिन लड़ाई होती रहती है. इसमें भी दो पक्ष एक वो हैं जो डॉग लवर हैं तो दूसरे लोग वो हैं जो आवारा कुत्तों को खाना खिलाने का विरोध करते हैं. अक्सर सोसायटीज में इस मुद्दे को लेकर तलवारें खिंची रहती हैं. कभी-कभी तो स्थिति ऐसी बन जाती है कि पुलिस को आकर बीच-बचाव करना पड़ता है. हर साल दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ती जा रही है.
एक आंकड़े के मुताबिक -दिल्ली में करीब एक लाख 85 हजार आवारा कुत्तें हैं, वहीं नोएडा में करीब 70 हजार, गाजियबाद में 48 हजार और गुड़गांव में करीब डेढ़ लाख आवारा कुत्ते हैं. एक आंकड़े के मुताबिक हरियाणा में पिछले 10 साल में कुत्ते के काटने के 11 लाख से भी ज्यादा मामले सामने आए हैं. कुत्तों की जनसंख्या पर लगाम लगाने वाली संस्थाएं उनकी नसबंदी कर दोबारा उन्हें वहीं छोड़ देती हैं, नसबंदी के बाद कुत्ते और हिंसक हो जाते हैं. नसबंदी का काम भी सरकारी संस्थाएं ठीक तरह से नहीं करती क्योंकि अगर नसबंदी अच्छे ढंग से हो रही होती तो दिल्ली-एनसीआर में लगातार कुत्तों की आबादी नहीं बढ़ती. हालांकि कई एनजीओ ऐसे भी हैं जो कुत्तों की नसबंदी को पशु क्रूरता बताते हैं और सोसायटीज में Dog lovers Vs Dog haters वाली लड़ाई में कूद पड़ते हैं. जरुरत इस बात की है आवारा कुत्तों को लेकर सरकार को कोई नीति बनानी चाहिए वर्ना ये समस्या गुजरते वक्त के साथ और बढ़ने वाली है.