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क्या है MSP? किसान क्यों कर रहे हैं इसकी मांग

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अलग-अलग किसान संगठनों ने सरकार के खिलाफ हल्ला बोल दिया है। किसान दिल्ली आना चाह रहे हैं वहीं सरकार किसानों को रोक रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं किसान दिल्ली में आकर विरोध प्रदर्शन क्यों करना चाह रहे हैं। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं-

किसानों का आरोप है कि सरकार ने पिछली बार उनसे वादा किया था। सरकार का वादा न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर था। लेकिन सरकार ने अपना वादा पूरा नहीं किया। सरकार की इसी वादा खिलाफी को लेकर किसान दिल्ली में आकर विरोध प्रदर्शन करना चाह रहे हैं। साथ ही किसानों ने सरकार से मांग कि है कि किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर लगाए गए सारे केस वापस लिए जाएं।

साल 2021 में किसान आंदोलन के दौरान यूपी के लखीमपुर-खीरी में कुछ किसानों की मौत हो गई थी। इसी को लेकर किसानों की सरकार से मांग है कि मारे गए लोगों के परिवार वालों को सरकारी नौकरी मिले और इस घटना में घायल हुए किसानों के परिवार वालों को दस-दस लाख का मुआवजा दिया जाए। आपको बता दें, केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध कर रहे चार किसानों की मौत हो गई थी। किसानों की ये कथित मौत की वजह थी गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे की कार द्वारा किसानों का कुचलना।

मीडिया से बात करते हुए किसान नेता डल्लेवाल ने कहा कि ये विडंबना है कि जिन एम.एस. स्वामीनाथन को मोदी सरकार ने भारत रत्न देने का एलान किया है उन्हीं के नाम पर बनी कमेटी की रिपोर्ट को आज तक लागू नहीं किया गया है। किसान लगातार मोदी सरकार से एम.एस. स्वामीनाथन की रिपोर्ट को लागू करने के लिए कह रहे हैं लेकिन सरकार ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया है।

जब MSP को लेकर खबर आई थी, हालांकि वो खबर खुशी भरी थी क्योंकि उस खबर में केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया था और धान, मूंग-उड़द और बाजरा के न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ा दिया था। MSP की मांग को लेकर सबसे पहले किसानों ने कुरुक्षेत्र की पीपली मंडी से अपनी रैली की शुरूआत की थी, जो अब इतना बढ़ गया है कि पंजाब से किसान करीब 2500 से ज्यादा ट्रेकटर्स लेकर दिल्ली की ओर बढ़ रहे हैं।

अधिक जानकारी के लिए बता दें कि, वर्ष 2007-2008 के बाद से गेहूँ की कीमतों में 150 रुपए प्रति क्विंटल की सबसे अधिक वृद्धि हुई है। गेहूँ एक महत्त्वपूर्ण रबी फसल है और भारत में क्षेत्रफल की द्रष्टी से दूसरी सबसे बड़ी फसल है तथा अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका भी निभाती है।

किसानों को वर्ष 2014 के बाद से वस्तु की कीमतों में लगातार गिरावट का सामना करना पड़ रहा है। Demonetisation ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मुख्य रूप से गैर-कृषि क्षेत्र के साथ-साथ कृषि क्षेत्र को भी नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है।

वर्ष 2016-17 के बाद अर्थव्यवस्था में जारी मंदी और उसके बाद कोविड महामारी के कारण ज्यादातर किसानों के लिये यह चिंता का विषय बना हुआ है।

MSP क्या है?

MSP वह गारंटी राशि है जो सरकार द्वारा किसानों को दी जाती है। मतलब सीधे शब्दों में कहे तो एक न्यूनतम मूल्य जब पर सरकार किसानों से उनकी फसल खरीदती है। MSP किसानों की उत्पादन लागत से कम से कम डेढ़ गुना ज्यादा होती है। केंद्र सरकार फसलों की एक न्यूनतम कीमत तय करती है। जिसके बाद किसान को अपनी फसल की एमएसपी (MSP) के तहत निर्धारित कीमत मिलती ही मिलती है, चाहे बाजार में कोई भी दाम क्यों ना हो।

MSP लागू होने के बाद किसानों को राहत मिल जाती है क्योंकि उसे सरकार का भरोसा मिला होता है। लेकिन अभी MSP लागू नहीं हुआ है जिस वजह से कुछ किसान नाराज चल रहे हैं।

MSP कृषि लागत और मूल्य आयोग (Commission for Agricultural Costs and Prices- CACP) की सिफारिशों पर आधारित है, जो उत्पादन लागत, मांग तथा अंतर-फसल मूल्य समानता आदि जैसे विभिन्न कार्य पर विचार करता है।

CACP कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का एक कार्यालय है। यह जनवरी 1965 में अस्तित्व में आया था।
भारत के प्रधानमंत्री के मौजूदगी में ही कैबिनेट समिति आर्थिक मामलों को लेकर MSP पर अंतिम निर्णय लेती है।
MSP का उद्देश्य उत्पादकों को उनकी फसल के लिये लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करना और फसल प्रक्रिया को प्रोत्साहित करना है।

MSP के लिए फसलें:

CACP, 22 अधिदिष्ट फसलों (Mandated Crops) के लिये MSP और गन्ने के लिये उचित तथा लाभकारी मूल्य (FRP) की सिफारिश करता है। फसलों में खरीफ सीज़न की 14 फसलें, 6 रबी फसलें और 2 अन्य वाणिज्यिक(ऐसी फसलें जो बहुत लाभकारी होती हैं) फसलें शामिल हैं।

फसल प्रक्रिया को प्रोत्साहित करने और चावल व गेहूँ के नियंत्रण को कम करने के लिये सरकार धीरे-धीरे MSP समर्थन हेतु पात्र फसलों की सूची का विस्तार कर सकती है। इससे किसानों को अधिक विकल्प मिलेंगे और बाज़ार की मांग के अनुरूप फसलों की खेती को बढ़ावा भी मिलेगा। सभी क्षेत्रों में सभी फसलों के लिये MSP प्रदान करने के बदले सरकार उन फसलों के लिए MSP निर्धारित करने पर ध्यान केंद्रित कर सकती है जो खाद्य सुरक्षा के लिये आवश्यक हैं और जिनका किसानों की आजीविका पर प्रभाव पड़ता है। इसे यक़ीन करने के लिये खरीदारी में सुधार और आधुनिकीकरण किया जाना जरूरी है ताकि किसानों की MSP तक पहुँच प्राप्त हो।


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