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अमित शाह ने संसद में एक बार फिर पूर्व पीएम नेहरू पर निशाना साधा


केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में एक बार फिर पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर निशाना साधा और उन्हें कश्मीर के एक हिस्से पर पाकिस्तान के अवैध कब्जे के लिए दोषी ठहराया जिसे पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के रूप में जाना जाता है।

राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक 2023 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2023 पर चर्चा के दौरान अमित शाह ने कहा ” जहां तक ​​तंग नजरिये का सवाल है देश की एक भी इंच जमीन का” सवाल है, हमारा नजरिया तंग रहेगा हम दिल बड़ा नहीं कर सकते। किसी को भी अपना बड़ा दिल दिखाने के लिए हमारी जमीन का एक हिस्सा देने का अधिकार नहीं है।”

अमित शाह ने फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ का भी संदर्भ दिया और कहा कि जब कश्मीर पर पाकिस्तानियों द्वारा आक्रमण किया जा रहा था तो सरदार पटेल के हस्तक्षेप के कारण ही भारतीय सेना भेजी गई थी। उन्होंने कहा “मैं सैम मानेकशॉ का संदर्भ देना चाहता हूं। उन्होंने एक जगह कहा था कि जब पाकिस्तानी कश्मीर पर हमला कर रहे थे तब वह चर्चा में व्यस्त थे। सैम मानेकशॉ एक बैठक में मौजूद थे जिसमें सरदार पटेल ने नेहरू से कहा ”आपको कश्मीर चाहिए या नहीं?” तब सेना भेजने का फैसला लिया गया। अगर उचित समय पर युद्धविराम नहीं होता तो पीओके होता ही नहीं। मामला यूएन में क्यों ले जाया गया।

गृह मंत्री ने नेहरू के एक उद्धरण को भी उद्धृत किया जिसमें उन्होंने कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में ले जाने की “अपनी गलती स्वीकार की” और कहा “संयुक्त राष्ट्र के अनुभव के बाद मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि कोई संतोषजनक परिणाम नहीं मिल सकता है।” मैंने युद्धविराम के फैसले को अच्छा माना लेकिन हम इस मामले से अच्छे से नहीं निपट सके। हमें संघर्षविराम पर और विचार करना चाहिए था और इसे देर से लेना चाहिए था। हालांकि ये अतीत की गलतियां हैं।” ये उद्धरण जवाहरलाल नेहरू का है। उनको तो मानोगे या नहीं मानोगे कि अनहोनी गलती है। इसे स्वीकार करें, नेहरू खुद स्वीकार कर रहे हैं कि उनसे गलती हुई।”

केंद्रीय मंत्री ने कहा सुप्रीम कोर्ट ने पुष्टि की है कि अनुच्छेद 370 भारतीय संविधान में एक अस्थायी प्रावधान था। मैं उन लोगों से एक प्रश्न पूछना चाहता हूं जो नेहरू के दर्शन का पालन करते हैं यदि अनुच्छेद 370 अत्यंत महत्वपूर्ण था तो नेहरू ने स्वयं इस अनुच्छेद के संबंध में ‘अस्थायी’ शब्द का उपयोग क्यों किया? हर कोई जो कहता है कि धारा 370 स्थायी है वह संविधान का अपमान कर रहा है!”

अमित शाह ने आगे कहा कि मनोज झा ने सवाल किया कि अगर 40 साल बाद इतिहास पूछेगा तो कौन जिम्मेदार होगा? उन्होंने कहा “वे कहते हैं कि अगर 40 साल बाद इतिहास पूछेगा तो ज़िम्मेदार कौन होगा? मैं आपको बताता हूं, दो शताब्दियों के लिए यदि अनुच्छेद 370 (हटाने) का निर्णय गलत होगा तो यह मेरी सरकार का होगा, मेरा निर्णय गलत होगा। ये फैसला पीएम मोदी ने लिया है, ना वो इससे भाग सकते हैं, ना हमारी कैबिनेट, ना हमारी पार्टी। जब बड़े फैसले लेते हैं, तो उनकी मालिक भी बनना पड़ता है और देश को जवाब भी देना पड़ता है। । इतिहास किसी को माफ नहीं करता।”

अमित शाह ने कहा कि ऐसे कई राज्य हैं जिनकी सीमा पाकिस्तान के साथ लगती है लेकिन वे सीमा के दूसरी ओर आतंकवाद से प्रभावित नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 की मौजूदगी के कारण कश्मीर आतंकवाद से प्रभावित था। उन्होंने कहा 42 हजार लोगों ने अपनी जान गंवाई और यह उनकी धार्मिक पहचान के बारे में नहीं था चाहे वे हिंदू हों या मुस्लिम। गुजरात, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्य बड़े हैं।यह कोई सीमा मुद्दा भी नहीं था। गुजरात की सीमा पाकिस्तान के साथ लगती है। तो जेके में अलगाववाद क्यों पनपा? ऐसा इसलिए था क्योंकि अनुच्छेद 370 ने इसे सक्षम और प्रोत्साहित करने में भूमिका निभाई थी।”

इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि देश की जनता कांग्रेस को देख रही है अमित शाह ने कहा कि पीएम मोदी 2024 में प्रधानमंत्री के रूप में लौटेंगे। उन्होंने कहा
“अगर आप आज भी इस फैसले पर कायम रहना चाहते हैं तो जनता देख रही है – 2024 में आमना-सामना होगा और पीएम मोदी तीसरी बार पीएम बनेंगे।”

गृह मंत्री ने उच्च सदन में अपने संबोधन के दौरान दोहराया कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर देश का हिस्सा है। गृह मंत्री ने कहा “पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में 24 सीटें आरक्षित की गई हैं। मैं फिर से कह रहा हूं कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर हमारा है और इसे कोई हमसे नहीं छीन सकता। पहले जम्मू में 37 सीटें थीं अब नए परिसीमन आयोग के बाद 43 सीटें हैं। पहले कश्मीर में 46 थीं अब 47 हैं। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में 24 सीटें आरक्षित की गई हैं क्योंकि पीओके हमारा है।”

जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 पिछले सप्ताह लोकसभा द्वारा पारित किए गए थे।


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