Pind Daan: माना जाता है कि पितृपक्ष के दौरान पिंडदान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। ऐसे में लोगों के मन में सबसे पहला सवाल उठता है कि कहां पिंडदान करने से ज्यादा फल मिलेगा? आपके इस सवाल का जवाब हम आपको इस लेख में देंगे…
धर्म नगरी चित्रकूट प्रभु श्री राम की तपोस्थली मानी जाती है। चित्रकूट में ही भगवान राम ने साढ़े ग्यारह साल गुजारे थे। ऐसे में चित्रकूट में पितृ पक्ष के दिनों में रामघाट के मंदाकिनी तट पर लोग अपने पितरों का तर्पण कर पूजा पाठ आदि करते हैं।
माना जाता है कि जब प्रभु श्री राम वनवास गए थे,तब उनके पिता राजा दशरथ का देहांत हो गया था। तब प्रभु श्री राम ने चित्रकूट की मंदाकिनी नदी में ही राजा दशरथ का पहला पिंडदान किया था। इसलिए कहा जाता है कि यह नदी राम गया नदी है। इसलिए इस नदी के लोग राम नदी के नाम से भी बुलाते हैं।
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मिलता है गया जितना फल
मंदाकिनी मैया को मोक्ष दायिनी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जितना गया में जाने से पितरों को सुख-शांति मिलती है, उतना ही फल चित्रकूट में भी मिलता है। यहां प्रभु श्री राम ने भी अपने पिता का पिंडदान (Pind Daan) किया था। इसलिए पितृ पक्ष के दौरान पिंडदान करने के लिए लोग चित्रकूट आते हैं।
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